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तेरी आंखें ही काफी है_

तेरा मुझसे कुछ कहने के लिए।

तेरी मुस्कान ही बहुत है_

मेरी मुस्कुराहट के लिए।

तू बस कह दे कुछ _

सब कुछ तेरा कर दूंगी।

एक बार मुझे मांग कर देख

खुद को हर जमाने के लिए तेरा कर दूंगी।।

 

अब कहां हम आपकी तरह_

दूसरे की बातों में,

अपने लिए खुशियां ढूंढने वालों में से हैं

हम तो बस आप में

अपना सब कुछ खो बैठे हैं ।

एक बार मुझे मांग कर देख _

खुद को हर जमाने के लिए तेरा कर दूंगी ।।

 

तेरा इशारा ही काफी है _

तेरा, मुझको कुछ समझा जाने के लिए ।

तेरी तड़प ही बहुत है _

मेरी धड़कन को धड़का जाने के लिए ।।

जमाना बदल जाएगा ,

जानम ! तुम भी बदल जाना __

अब हम कहां, मरते दम तक बदलने वाले

अब हम कहां सनम आपको,

मरने के बाद भी भूलने वाले ।।

एक बार इजाजत तो दे _ खुदा कसम

खुद को हर जमाने के लिए तेरा कर दूंगी

 

तेरी बातें ही काफी है _

मेरी शायरी के लिए ।

हमारी एक मुलाकात ही बहुत है,

इस खुशनसीब के पुरे जिंदगी के लिए ।

हाय ! तुम मौसम बन

हमें बेईमान कर गए ।

कमबख्त – हम तो बिन मौसम बरसात है

हमारे होने पर कोई रोता है __

कोई खुश होता है ।।

कभी रितु, कभी बसंत _ तो कभी इस पतझड़ को

अपना दीदार बना लिया ।।

सनम! आप तो मौसम बन _

कुछ क्या सब कुछ बदल गए ।

हम तो बरसात बन __

आज भी आपके इंतजार में ,,

आज यहां कल वहां बरसते रहे

फर्क सिर्फ इतना था __

खुदगर्ज , हो कर सनम आपने हमको भुला दिया।

हमने तो सूखी जमीन को भी __

अपने एकतरफा ,प्यार की मोहब्बत से भिगो कर

आपके लिए अपना सर्जन बना लिया ।।

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