भोजपुरी गानों में बढ़ती अश्लीलता को एक मीठी चुनौती :आलू बेच ,चना बेच …….

21 फ़रवरी मातृभाषा दिवस के रूप में अंतर्राष्ट्रीय पैमाने पर मनाया जाता है।इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है विश्व भर में पाए जाने वाले सभी भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन ताकि विश्व में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले।

मातृभाषा के दृष्टिकोण से बिहार एक धनी राज्य है। यहां अनेक बोलियाँ और भाषाएँ बोली जाती हैं जैसे भोजपुरी,मैथिली ,मगही आदि। मैथिली को तो संविधान में मान्यता मिल चुकी है पर करोड़ो लोगो द्वारा और अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर बोले जाने के बावजूद भोजपुरी अब तक संविधान में अपनी जगह नहीं बना पाया है। इस अनदेखी ने इसके विकास को अवरुद्ध तो कर ही दिया है रही सही कसर भोजपुरी गानों में बढती अश्लीलता ने पूरी कर दी है।

एक समय था जब भोजपुरी में दंगल ,माई, गंगा मैय्या तोहरे पियरी चढाइब ,बिदेसिया आदि फ़िल्मे बनती थी जिनका गीत ,संगीत और कथा मनोरंजक होने के साथ गरिमामयी भी होते थे।पर आजकल  दिन-ब-दिन भोजपुरी गांव में बढ़ रही अश्लीलता ने इसे एक “एडल्ट” भाषा का रूप दे दिया है।इन गंदे और फूहड़ गांव के कारण गैर भोजपुरी भाषी इसे एक गन्दी भाषा समझने लगे हैं।

      भोजपुरी को एक गरिमामयी स्थान दिलाने की पहल की है बिहार के एक युवा निर्देशक ,निर्माता नितिन नीरा चंद्रा ने। इन्होंने कई गाने ,शार्ट फिल्मे बनायीं हैं। इनकी निर्देशित भोजपुरी फिल्म “देसवा” पिछले पचास सालों में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के इंडियन पैनोरामा में चुनी जाने वाली पहली फिल्म है।इन्होंने छठ के गीतों का भी अत्यंत खूबसूरत ,शालीन और भक्तिपूर्ण तरीको से प्रस्तुति-करण किया है।

इस साल यानि 2018 मातृभाषा दिवस की विषय-वस्तु  है “हमारी भाषा – हमारी संपत्ति। “  इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार 21 फ़रवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के दिन नितिन अपना नया वीडियो ले कर आये हैं “आलू बेच ,चना बेच. . . . . . . . “ ये गीत  मूल रूप से बंगाली भाषा के गायक और गीतकार प्रतुल मुखोपाध्याय की रचना से प्रेरित है।इस गीत में उन्होंने देश-विदेश के भोजपुरी भाषी लोगो को शामिल किया है और इस के माध्यम से  नितिन ने ये सन्देश देने की पुरज़ोर कोशिश की है की आप जो बेचना चाहे बेचे पर अपनी मातृभाषा भोजपुरी की अस्मिता  का व्यापार ना करे। इस वीडियो में ये स्पष्ट ये निवेदन किया गया है की मनोरंजन के नाम पर भोजपुरी में फूहड़ता और अश्लीलता ना परोसे। आशा है इस दिल को छू लेने वाले वीडियो को देखने वाले उनके सन्देश को समझेंगे। प्रस्तुत है उनका ये वीडियो:

प्रतुल मुखोपाध्याय की मूल रचना भी अत्यंत सुन्दर और प्रसिद्ध है। यहां प्रस्तुत है उनकी मूल रचना 

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