2धाम कथा  

http://thebiharnews.in/wp-content/uploads/2017/07/thebiharnews_in_devghar_rawan_worship.jpg

पौराणिक कथाओं के अनुसार यह ज्योर्तिलिंग लंकापति रावण द्वारा यहां लाया  गया था। इसकी एक बड़ी ही रोचक कथा है। रावण भगवान शंकर का परम भक्त था। शिव पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण हिमालय पर्वत पर जाकर शिव लिंग की स्थापना करके कठोर तपस्या करने लगा। कई वर्षों तक तप करने के बाद भी भगवान शंकर प्रसन्न नहीं हुए तब रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने सिर की आहुति देने का निश्चय किया।

ये भी पढ़े : ककोलत जलप्रपात(Kakolat water Fall)बिहार का कश्मीर

विधिवत पूजा करते हुए दशानन रावण एक-एक करके अपने नौ सिरों को काटकर शिव लिंग पर चढ़ाता गया जब दसवां सिर काटने वाला था तब भगवान शिव वहां प्रकट हुए और रावण को वरदान मांगने के लिए कहा। रावण को जब इच्छित वरदान मिल गया तब उसने भगवान शिव से अनुरोध किया कि वह उन्हें अपने साथ लंका ले जाना चाहता है।

शिव ने रावण से कहा कि वह उसके साथ नहीं जा सकते हैं। वह चाहे तो यह शिवलिंग ले जा सकता है। भगवान शिव ने रावण को वह शिवलिंग ले जाने दिया जिसकी पूजा करते हुए उसने नौ सिरों की भेंट चढ़ाई थी। शिवलिंग को ले जाते समय शिव ने रावण से कहा कि इस ज्योर्तिलिंग को रास्ते में कहीं भी भूमि पर मत रखना अन्यथा यह वहीं पर स्थापित हो जाएगा।