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चित्रगुप्त पूजा और भाई दूज पूजा आज

बिहार : धरती पर जन्म लेनेवाले प्राणियों के पाप व पुण्य का लेखा-जोखा रखनेवाले भगवान चित्रगुप्त की पूजा आज होगी। कायस्थ समाज के लोग काफी श्रद्धा के साथ इस दिन भगवान के साथ कलम और दवात की पूजा करते हैं। शहर में कई जगह सार्वजनिक आयोजन होंगे, जहां कायस्थ समाज के लोग एक साथ बैठ कर पूजा-अर्चना करेंगे।

 

ब्रह्माजी की काया से उत्पन्न हुए थे चित्रगुप्त

चित्रगुप्त जी के संबंध में इतिहासकार हमें बताते हैं कि ब्रह्मा जी की काया से उत्पत्ति होने की वजह से चित्रगुप्त को कायस्थ कहा जाता है। वह प्राणी समूह के शरीर में गुप्त भाव से व्याप्त हो कर शुभ व अशुभ कार्यों का निरीक्षण करते हैं और पाप व पुण्य का लेखा जोखा के आधार पर उनका न्याय करते हैं। कायस्थों की उत्पत्ति के संबंध में उन्होंने बताया कि ब्रह्मा सृष्टि के निर्माण के बाद 11 हजार वर्षों तक समाधि में लीन रहे। इस दौरान उनकी काया से श्याम वर्ण, कमल नयन, चार भुजाधारी, एक हाथ में असी, दूसरे में कालदंड, तीसरे में लेखनी और चौथे में दवात धारण किये पुरुष को ब्रह्मा ने चित्रगुप्त का नाम दिया था और उन्हें धर्मराज पूरी में जीवों के शुभ-अशुभ कार्यों का लेखा जोखा रखने की जिम्मेवारी दी थी।

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