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मिट रहा इमारत का अस्तित्व

ज़िन्दगी की व्यस्तता से समय निकाल कर आज मैं अपनी दोस्त के साथ दरभंगा हाउस के काली मंदिर घूमने और वहां गंगा घाट के किनारे कुछ पल व्यतीत करने गयी। पर वहां दरभंगा हॉउस की हालत देखकर मेरा मन दुखी हो गया।

दरभंगा हाउस वर्षों पहले दरभंगा महाराज के द्वारा निमार्ण कराया गया था। इसकी खूबसूरती के कारण ही इसे ‘नवलखा पैलेस’ के नाम से भी जाना जाता है। निमार्ण के बाद राजा ने इसे पटना विश्वविद्यालय को दान कर दिया। जिससे इसका इस्तेमाल शिक्षा के लिए हो सके। इसे शिक्षा के लिए इस्तेमाल तो किया जा रहा है लेकिन इसकी मरम्मती पर कोई ध्यान नहीं देता।

दरभंगा हाउस में स्थित काली मंदिर

इस हाउस के अंदर एक काली मंदिर भी निमार्ण करवाया गया था। जिसके दर्शन क लिए कई श्रद्धालु आते हैं। मंदिर की हालत भी कुछ खास अच्छी नहीं है। मंदिर के अंदर काली मां की एक प्रतिमा है और प्रतिमा के पास ही एक बल्ब है जिससे थोड़ी-सी रौशनी रहती है। वरना पूरे मंदिर परिसर में अंधेरा फैला रहता है। सुबह में तो फिर भी मंदिर को ठीक से देख लेंगे मगर आप शाम में जाएगे तो अंधेरा ही मिलेगा।

गंगा किनारे दरभंगा हाउस की खूबसूरती को एक बार देखने के लिए हर कोई आता है। लेकिन इसके बावजूद भी इस इमारत की मरम्मती पर किसी का ध्यान नहीं जाता। मरम्मत ना होने के कारण सामने की दीवारें लगातार खराब होती जा रही है। इसका मुख्य द्वार भी बदहाल हो गया है। मुख्य द्वार के अंदर प्रवेश करते ही आपको कई तरह के ठेले नज़र आएंगे जो पहले नहीं हुआ करते थे। कॉलेज के द्वार भी अच्छी परिस्थिति में नहीं है। इनकी हालत भी बदहाल है। इस इमारत की खूबसूरती को बनाए रखने की तो दूर की बात है। इसकी खबर भी शायद सरकार ने कभी नहीं ली होगी।

इमारात के अंदर साफ-सफाई का भी ख्याल नहीं रखा जाता है। मंदिर तो साफ हो ही जाता है लेकिन उसके कचरे को गंगा किनारे ढेर बनाकर रख दिया जाता है। बारिश के मौसम में वहां का दृश्य और भी बदहाल हो जाता है। अगर जल्द से जल्द इसपर ध्यान ना दिया गया तो यह इमारत बस एक इतिहास बनकर रह जाएगा।

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