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देश को मिली नई “उड़न परी”

भारत की बेटी ने एक बार फिर देश का नाम रौशन कर दिया है। फिनलैंड में हुई आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 18 साल की हिमा दास ने इतिहास रच दिया। महिलाओं के 400 मीटर फाइनल रेस में 51.46 सेकंड समय निकालते हुए टॉप पोजिशन हासिल कर हिमा ने भारत को गोल्ड मेडल का तोहफा दिया। वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनी। हिमा पहली भारतीय ट्रैक ऐथलीट है जिन्होंने इस प्रतियोगिता के इतिहास में कोई मेडल जीता है।

अंतरराष्ट्रीय ट्रैक पर भारत की ये ऐतिहासिक जीत है क्योंकि ऐसा कारनामा ना तो मिल्खा सिंह कर पाए थे और ना ही पीटी उषा। जीत के बाद हिमा ने समर्थन के लिए सबका धन्यवाद किया। हिमा दास ने दौड़ के बाद सबका शुक्रिया अदा करते हुए कहा की ‘विश्व जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर मैं काफी खुश हूं। मैं सभी भारतीयों को धन्यवाद देना चाहती हूं और उन्हें भी जो यहां रहकर मेरी हौसला अफजाई कर रहे थे।’

हिमा की जीत का जश्न पूरा देश मना रहा हैं और हर कोई उसे बधाई दे रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ खेल जगत के लोग भी उसकी तारीफ कर रहे हैं।

2 साल पहले ही रेसिंग ट्रैक के साथ जुड़ी थी हिमा दास

देश का नाम ऊंचा करने वाली ये बेटी एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखती है। उनके पिता चावल की खेती करते है। वह परिवार के 6 बच्चों में सबसे छोटी है। हिमा पहले लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थीं और एक स्ट्राइकर के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती थीं। उन्होंने 2 साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था। हिमा ने सेमीफाइनल में भी शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने सेमीफाइनल में 52.10 सेकंड में दौड़ पूरी कर पहला स्थान हासिल किया था।

यह जीत फिर से दंगल सिनेमा का डायलॉग “म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के” को सार्थक करता है।

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