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बिहार सरकार के द्वारा शराबबंदी कानून में एक नई पहल

बिहार में शराबबंदी का असर बहुत घरों में देखा जा रहा है । पर क्या शराबियों को जेल में बंद कर ही राज्य शराब मुक्त हो पाएगा? शराब बंदी कानून के अनुसार जो शराब पीते या शराब के साथ पाए गए उसे सरकार नहीं बक्शेगी, पर क्या शराब धंधेबाज इतने लापरवाह है की खुले में धंधा करेंगे और कहेंगे आ बैल मुझे मार । ऐसा बिकुल नही है । धंधेबाजो को तो और फायदा हुआ है।शराबी अपना शराब छोड़ नही सकता तो वो दोगुनी, तिगुनी दाम में भी खरीदने से हिचकीएगा नही।

5 अप्रैल 2016 से राज्य में लागू शराबबंदी कानून में बिहार सरकार बदलाव लाने की सोच रही है। अब बिहार सरकार शराबियों को जेल नहीं उन्हें राज्य के सभी 38 जिलो में स्तापित नशा विमुक्ति केंद्र में रखकर उनका इलाज करने पर विचार कर रही है।

पिछले 27 महीनों में पकड़े गए मुजरिमो में 90 प्रतिशत लोग शराब के नशे में पाए जाने वालों में से हैं, धंधेबाज तो बस 10% ही पकड़े गए । शराबियों को जेल में रखकर क्या बिहार राज्य पुर्णतः नसगमुक्त हो पाएगी? क्या धंधेवजो ने शराब बेचना बंद कर दिए हैं? जी नहीं, जब तक शराबियों को शराब की लत ना छुड़ाई जाए वह सुधरने वालों में से नहीं है। जेल से निकल धंधाबाजो से संपर्क जरूर करेंगे। पूरे बिहार राज्य को नशा मुक्त बनाना है तो शराबियों को शराब की लत से बाहर निकालना होगा, नाकि कारावास में बंद करना होगा। जिससे की वो धंदेबाजो से संपर्क ही ना करें और शराब बेचने वालों का भट्ठा बैठ जाए।

ऐ राही कहां जा रहा है तू
इस विश को पीकर प्रतिदिन मार रहा है तू
खुदा ने तुझे बनाया था कुछ अच्छा सोच कर
पर उन्हें भी दुबारा सोचने पर मजबूर कर रहा है तू
ऐ नाचीज अपनी नही अपने जन्मे का तो खयाल रख
उनकी क्या गलती है जो उन्हें सजा दे रहा है तू !!!

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