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पार्टी अध्यक्ष के पद के लिए नामांकन करेंगे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव

पटना : राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव रविवार को पार्टी अध्यक्ष के पद के लिए नामांकन करने जा रहे हैं। उनका निर्विरोध अध्‍यक्ष बनना तय माना जा रहा है। पार्टी में यह उनकी लगातार 10वीं पारी होगी। वर्ष 1997 में जनता दल से अलग होकर राजद के गठन के बाद से ही लालू प्रसाद के मुकाबले मैदान में कोई नहीं आया। 21 नवंबर को राजद के राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी जगदानंद सिंह पार्टी के खुले अधिवेशन के पहले लालू जी के निर्विरोध निर्वाचन की विधिवत घोषणा करेंगे, लेकिन इसके पहले पार्टी के संविधान के मुताबिक लालू जी को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा। रविवार को आम उम्मीदवारों की तरह लालू प्रसाद यादव राजद के प्रदेश कार्यालय पहुंच कर नामांकन करेंगे।
place-your-ads-here-TBN-the-bihar-newsफिर से राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जायेंगे लालू

राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर लालू प्रसाद यादव का निर्विरोध चुना जाना तय हैं। रविवार को राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए 11 बजे से नामांकन होगा। इसके पहले शनिवार को राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी जगदानंद सिंह ने राष्ट्रीय परिषद के 649 सदस्यों की सूची जारी की। पार्टी संविधान के अनुसार राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों द्वारा 21 नवंबर को राजद प्रमुख लालू प्रसाद के नाम पर औपचारिकता पूरी की जायेगी। पार्टी के सहायक राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी चितरंजन गगन ने बताया कि रविवार को 11-01 बजे तक राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी जगदानंद सिंह के समक्ष नामांकन पत्र दाखिल किया जायेगा। रविवार को ही नामांकन पत्रों की जांच होगी।

1997 में पहली बार बने थे पार्टी अध्यक्ष

जनता दल से टूटकर लालू प्रसाद ने पांच जुलाई 1997 को राष्ट्रीय जनता दल की बुनियाद रखी थी। नयी पार्टी के वह पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किये गये थे। इसके बाद पार्टी में संगठन चुनाव की परंपरा शुरू की गयी। निचले स्तर पर यह अभी भी जारी है, किंतु शीर्ष स्तर पर सबकुछ निर्विरोध हो जाता है। लालू जी के नाम और काम के आगे पार्टी के दूसरे नेताओं के कद-पद छोटे पड़ जाते हैं। चारा घोटाले में अक्टूबर 2013 में जेल जाने के बाद लगने लगा था कि राजद को नया नेतृत्व मिलने वाला है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के दावेदारों में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी समेत कुछ नेताओं के नाम उछाले गये थे, किंतु लालू जी का विकल्प बनना किसी के लिए आसान नहीं था।

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