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सूबे के तीन लाख पुरानी पारंपरिक स्ट्रीट लाइटें बदली जाएंगी। पुराने बल्ब के स्थान पर एलईडी लाइट लगेंगी। 38 जिले के 143 शहरी स्थानीय निकाय के अलावा 12 नगर निगम, 66 नगर परिषद और 85 नगर पंचायतों में बल्ब के स्थान पर एलईडी लाइट लगेगी।

बल्ब के स्थान पर एलईडी स्ट्रीट लाइट इनर्जी इफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) लगाएगी। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन की एजेंसी ईईएसएल मंगलवार को नगर विकास विभाग के साथ करार करेगी। कंपनी की ओर से दी गई आधिकारिक जानकारी के अनुसार तीन लाख बल्ब के स्थान पर एलईडी बल्ब लगाने से सात करोड़ यूनिट बिजली की बचत होगी।

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400 टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में भी कमी आएगी

पीक आवर में हर दिन 17 मेगावाट यानी सात करोड़ यूनिट बिजली बचेगी। साथ ही 57 हजार 400 टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में भी कमी आएगी। इससे पर्यावरण को अधिक हरा-भरा बनाने में सुविधा होगी। वृहद स्तर पर एलईडी लाइट खरीदे जाने के कारण कंपनी को 135 के स्थान पर 80 रुपए प्रति वाट ही खर्च करने पड़ेंगे। एलईडी लाइट लगाने के साथ ही ईईएसएल निकायों में लगे बल्बों को सात साल तक रखरखाव करेगी। कंपनी ने दावा किया है कि देश के अन्य राज्यों में लागाई गई एलईडी लाइट में से खराब होने का औसत मात्र दो फीसदी है। वैसे खराबी होने पर लोगों की सुविधा के लिए कंपनी की ओर से हेल्पलाइन नंबर, ई-मेल, ट्विटर और फेसबुक पर शिकायत की सुविधा दी जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उजाला योजना

जनवरी 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उजाला योजना के तहत 100 शहरों में पारंपरिक और घरेलू लाइट के स्थान पर एलईडी बल्ब लगाने का शुभारंभ किया था। स्ट्रीट लाइट नेशनल प्रोग्राम (एसएलएनपी) के तहत मार्च 2019 तक 1.34 करोड़ एलईडी लाइट लगाने की योजना है। 23 राज्यों और पांच केंद्र शासित प्रदेशों में 40 लाख स्ट्रीट लाइटें लगाई जा चुकी हैं। ईईएसएल की कोशिश है कि पारंपरिक बल्बों के स्थान पर एलईडी के माध्यम से 2020 तक लगभग 10 हजार करोड़ की बिजली की बचत की जाए।

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