1हाँ ये उन दिनों की बात है!! (Remembering Childhood )

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हाँ ये उन दिनों की बात है,

जब पतंगों के साथ खुद भी लगते थे उड़ने

हाँ ये उन दिनों की बात है,

जब गिल्ली- डंडा,गोली और पिट्टो लगते थे खेल सबसे प्यारे

हाँ ये  उन दिनों की बात है,

जब रविवार के पिक्चर का रहता था पूरे हफ्ते इंतजार

हाँ ये उन दिनों की बात है,

जब फिल्मी गाने मिलते थे देखने को सिर्फ बुधवार और शुक्रवार

हाँ ये ये उन दिनों की बात है,

जब दूध में चीनी डालकर जमाई आइसक्रीम लगती थी सबसे प्यारी

हाँ उन दिनों की बात है,

जब एक गुड़िया, कुछ चीनी मिट्टी के बर्तन, प्लास्टिक की कार

और खाली डब्बे दुनिया थी हमारी,

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पर अब कहाँ गए वह दिन ?

वह मासूम सा बचपन कहाँ ?

खाने को है इतनी चीजें पर इसमें मां की पूरी सा स्वाद कहाँ ?

खेलने को हैं  इतने वीडियो गेम्स ,

पर वो  हंसी ठिठोली ,वह उधम कहाँ ?

है कैसी ये दुनिया जो हमने बनाई ?

जो रह गई मासूमों की जिंदगी में कमी,

कभी सोचा क्या हम कर पायेंगे भरपाई?

धन्यवाद !!

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