बिहार: 15 हजार छात्रों को पता नहीं, परीक्षा में कैसे सेकेंड से आ गए फर्स्ट

मैट्रिक के रिजल्ट में बदलाव हो गया पर छात्र-छात्रओं को पता नहीं। तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र द्वितीय श्रेणी तो द्वितीय श्रेणी वाले प्रथम श्रेणी में पास हो गए, लेकिन अभी तक छात्र-छात्रओं को बदला रिजल्ट नहीं मिला है। अकेले प्रथम श्रेणी पास होने वाले 15000 विद्यार्थी है। यह अजीबोगरीब मामला बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की मैट्रिक परीक्षा 2003 का है। अब जब छात्र किसी वजह से अंकपत्र व प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर रहे हैं तो उन्हें बदला रिजल्ट दिया जा रहा है। हद तो यह है कि बोर्ड ने अपने रिकॉर्ड में सुधार कर लिया, लेकिन स्कूलों को नहीं भेजा गया। वर्ष 2003 में मैट्रिक का रिजल्ट 67 फीसदी था। सबसे ज्यादा छात्र गणित में फेल हुए थे। अधिकतर छात्रों ने स्क्रूटिनी के लिए आवेदन किया। स्क्रूटिनी में छात्रों के अंक बढ़ गए। इसके बाद मामला पटना हाईकोर्ट पहुंच गया।

रिजल्ट सही करने के बाद बनी थी एक ही कॉपी-
हाईकोर्ट ने जब जांच का आदेश दिया तो पता चला कि गणित में मिले अंक को कम कर दिया था। जांच रिपोर्ट के अनुसार, 10 जिलों के छात्रों के गणित के अंक में 10 तथा 10 जिलों के छात्रों के गणित में 15 अंक कम कर दिए। चूंकि कॉपियों में अंक सही दिए गए थे, इसलिए मामला प्रकाश में आ गया। हाईकोर्ट के आदेश पर रिजल्ट में दोबारा सुधार हुआ। रिजल्ट सही करने के बाद एक ही कॉपी रिजल्ट की बनी। यह कॉपी बोर्ड में ही रह गई। किसी विद्यालय को नहीं भेजी गई।

20 फीसदी बढ़ा था रिजल्ट-
बोर्ड सूत्रों की मानें तो जिन छात्रों को गणित में 26 से 90 तक अंक मिले थे, उसके अंक घटा दिए गए। इसके पीछे रिजल्ट परसेंटेज को कम करना था। इससे कुल उत्तीर्णता 67 फीसदी ही रही, लेकिन बदलाव के बाद रिजल्ट 20 फीसदी बढ़ गया।

अब तक 150 छात्रों को मिल चुका है-
बिहार बोर्ड की मानें तो अब तक 150 छात्रों ने अंक पत्र और प्रमाण पत्र लिए हैं। ये ऐसे परीक्षार्थी हैं, जो 2003 में द्वितीय श्रेणी में पास हुए थे। अंक पत्र खो जाने के बाद इन छात्रों ने दोबारा अंक पत्र और प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। इसके बाद छात्रों को पता चला कि उनके रिजल्ट में बदलाव हो गया है।

दो मार्क्स मिलने पर अनिमा हो गई फर्स्ट-
छात्र अनिमा भारती (रौल नंबर 0455, रौल कोड 05133) ने आरएसडीएन हाईस्कूल, पानेपुर से मैट्रिक परीक्षा 2003 में द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुई। अनिमा को 418 अंक मिले थे। एक साल पहले अनिमा का अंकपत्र और प्रमाण पत्र खो गया। इसके लिए अनिमा ने आवेदन दिया। अब बोर्ड ने उसे प्रथम श्रेणी का रिजल्ट दिया है। अनिमा ने बताया कि उन्हें गणित में दो अंक ग्रेस मिला है।

मैथ्स में 4 अंक मिले तो हो गए 420 नंबर-
छात्र पवन कुमार (रौल नंबर 065,रौल कोड 07633) मैट्रिक परीक्षा 2003 द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। पवन कुमार को 416 अंक मिले थे। अब दो साल पहले पवन कुमार ने अंक पत्र और प्रमाण पत्र के लिए दोबारा आवेदन किया। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने प्रथम श्रेणी का रिजल्ट दिया। पवन ने बताया कि गणित में चार अंक ग्रेस मिले। इस कारण वह प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गया।

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