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बिहार में कोरोना से 7वीं मौत, एनएमसीएच में भर्ती थी महिला

बिहार में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से सातवीं मौत हो चुकी है। नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कोरोना नोडल सेंटर में बुधवार की सुबह कोरोना संक्रमित महिला की मौत हो गई। आलमगंज थाना क्षेत्र के माखनपुर ईदगाह मोहल्ले की रहने वाली 56 वर्षीया आशा देवी ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। एपिडेमियोलॉजिस्ट ने बताया कि आशा देवी को गॉल ब्लाडर कैंसर की भी शिकायत थी। इससे पहले कोरोना संक्रमण से मुंगेर, वैशाली, पटना, रोहतास, पूर्वी चंपारण और सीतामढ़ी निवासी एक-एक मरीज की मौत हो चुकी है।

अब तक एनएमसीएच के कोरोना नोडल सेंटर में तीन कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो चुकी है। पूर्वी चम्पारण के जटवा निवासी 54 वर्षीय मो. रहुल्ला हुसैन की एक मई को व दूसरे मरीज सीतामढ़ी के छिटका निवासी 45 वर्षीय मो. सुहैल की मौत दो मई को इलाज के दौरान हो चुकी है। दोनों पहले से ही कैंसर से पीड़ित थे।

महिला पहले से ही कैंसर से पीड़ित थीं

यूनिट इंचार्ज डॉ. उमाशंकर प्रसाद ने बताया कि पीड़िता को स्वास्थ्य विभाग द्वारा नौ मई को कोरोना संदिग्ध के रूप में भर्ती कराया गया था। जिसका 10 मई को पहली रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी। महिला पहले से ही कैंसर से पीड़ित थीं। इसके अलावा महिला किडनी फेल्योर, डीप जॉडिंस जैसी कई जटिल बीमारी से ग्रसित थी। महिला को बचाने का काफी प्रयास किया गया, मगर बचाया नहीं जा सका और बुधवार की सुबह इलाज के दौरान ही उसने दम तोड़ दिया।

अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. गोपाल कृष्ण ने बताया कि महिला के शव को सरकार व डब्ल्यूएचओ के गाइड लाइन के अनुसार प्लास्टिक में कवर करने के बाद सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए बॉडी बैग में डालकर सेनेटाइज करने के बाद शव वाहन से अंतिम संस्कार के लिए बांस घाट भेजा गया। प्रशासन को यह भी निर्देश दिया गया था कि परिवार का कोई भी सदस्य शव का स्पर्श नहीं करें।

उपाधीक्षक ने बताया कि जिस मेडिसीन के आईसीयू वार्ड में महिला की मौत हुई है। उसे सेनेटाइज कराया गया है। एसडीओ राजेश रौशन ने बताया कि महिला का अंतिम संस्कार बांस घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह में कराया गया है। यहां पर मजिस्ट्रेट व पुलिस पदाधिकारी की तैनाती की गई थी। दाह संस्कार में शामिल होने पहुंचे महिला के पति व पुत्र का कहना है कि विद्युत शवदाह गृह वाले दाह संस्कार से इंकार कर दिया था। काफी मशक्कत के बाद दाह संस्कार कराया गया। परिजनों ने बताया कि बार-बार आग्रह करने के बाद भी प्रशासन ने शव को घर ले जाने की अनुमति नहीं दी। इस कारण परिजन उसका अंतिम दर्शन नहीं कर सके।

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