उद्घाटन से पहले बह गया 389 करोड़ रुपये की लागत से बना कहलगांव बांध
बिहार सरकार की नाकामी एक बार फिर उजागर हुई है। भागलपुर के कहलगांव में चालीस साल से बन रहा बांध उद्धाटन से पहले बह गया। नीतीश कुमार को आज उसका उद्घाटन करना था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को भागलपुर जाने वाले थे जहां उन्हें 40 साल बाद पूरा हुए बहुप्रतीक्षित बटेश्वरस्थान पंप नहर परियोजना का उद्घाटन करना था, लेकिन अब वे नहीं जाएंगे। इसकी वजह यह है कि उनके उद्धाटन करने से पहले ही बांध टूट गया। मुख्यमंत्री सचिवालय ने इसकी जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को रद करने की तुरंत सूचना दी।
40 साल बाद पूरा हुआ था बांध
अब एेसे में सवाल यह है कि जिस बांध के उद्धाटन के लिए विज्ञापन निकाला गया और लोग इसके लिए चालीस साल से इंतजार कर रहे थे वो उद्घाटन का भी इंतजार नहीं कर सका। मंगलवार को 40 साल बाद पूरा हुए इस नहर परियोजना की नहर कहलगांव के एनटीपीसी मुरकटिया के पास टूट गई जिससे पानी भी पूरे इलाक़े में फैल गया है, निश्चित रूप से ये घटना राज्य सरकार के लिए काफ़ी परेशानी का कारण बन गई है।
ट्रायल में भी मिला था लीकेज
सूत्रों के मुताबिक, सोमवार को भी ट्रायल के लिए जब नहर में पानी छोड़ा गया था तो कई जगह पर बांध में लीकेज देखने को मिला। जिसकी वजह से परियोजना से जुड़े लोग और अभियंताओं में हाहाकार मच गया था।इस परियोजना में काम कर रहे अभियंताओं ने बांध में लीकेज की समस्या को ठीक करने की कोशिश की मगर ऐसा लगता है इससे कोई सफलता हासिल नहीं हुई और इसकी वजह से मंगलवार को दोपहर को उद्घाटन से पहले ही नहर का यह बांध टूट गया।
गौरतलब है कि इस परियोजना से बिहार समय से झारखंड को भी इसका पूरा फायदा मिलने वाला था मगर नहर का बांध टूट जाने की वजह से एक बार फिर से इस परियोजना की शुरुआत में देरी हो गई है। वहीं सीएम नीतीश कुमार ने भी अब अपना दौरा टाल दिया है।
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बांध से बिहार-झारखंड के किसानों को होगा फायदा
बिहार और झारखंड़ में किसानों को सिंचाई के लिए पानी व्यवस्था करने के लिए भागलपुर जिले के बटेश्वर स्थान में गंगा नदी पर 389.31 करोड़ रुपए की लागत से इस बांध को तैयार किया गया है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महात्वाकांक्षी योजना है। मंगलवार को ट्रायल रन के दौरान स्विच आन किए जाने पर पानी के अत्यधिक दबाव के कारण इस योजना के बांध की एक दीवार टूट गई।
तेजस्वी ने कहा- यही है मुख्यमंत्री का जीरो टॉलरेंस
वहीं इसपर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि जल संसाधन विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा है। मुख्यमंत्री जी इस विभाग के भ्रष्टाचार पर ना जाने क्यों चुप रहते हैं?
दरअसल तेजस्वी का इशारा जल संसाधन मंत्री ललन सिंह की तरफ़ है जो नीतीश कुमार के काफ़ी क़रीबी माने जाते हैं। राजद के लोगों का आरोप है कि नीतीश कुमार किसी ना किसी मजबूरी से इस विभाग के काम या उसकी कारगुजारियों पर कभी नहीं बोलते।
राजद ने कहा- सृजन घोटाले के बाद नया घोटाला
इस परियोजना के बांध के टूटने पर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद को नीतीश सरकार के खिलाफ हथियार मिल गया और राजद कार्यकर्ताओं ने इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए भागलपुर में मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री का पुतला दहन किया। राजद के पीरपैंती से विधायक रामविलास पासवान ने पत्रकारों से कहा कि करोडों रुपए के सृजन घोटाले के बाद भागलपुर में एक नया ‘घोटाला’ सामने आया है।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह के क्षेत्र में बना है यह बांध
इस परियोजना के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अलावा जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा कहलगांव के विधायक सदानंद सिंह भाग लेने वाले थे।
जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरूण कुमार सिंह भागलपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ मिलकर जिन इलाकों में पानी फैला है उसे निकाले जाने की निगरानी कर रहे हैं। अरूण सिंह ने बताया कि पानी के बहाव को रोकने के बालू भरे बोरे रखे जा रहे हैं। कहलगांव उक्त परियोजना स्थल से तीन किलोमीटर की दूरी पर है।
ललन सिंह ने कहा था- चूहों की वजह से आयी बाढ़
इससे पहले भी ललन सिंह ने बिहार में इस बार आई प्रलयंकारी बाढ़ की वजह चूहों को बताया था। उनका कहना था कि चूहों की वजह से बाढ़ आई। इस बयान के बाद उनकी जमकर आलोचना हुई थी और विपक्ष ने करारा निशाना साधा था। अब उद्धाटन से पहले बह गए बांध को लेकर विपक्ष को अब मौका मिल गया है।
वहीं, राज्य में हाल में आई बाढ़ के समय भी विभाग के कामकाज की जमकर आलोचना हुई लेकिन नीतीश कुमार ने सबके लिए बारिश को मुख्य कारण माना था। लेकिन, भागलपुर और उसके आसपास के कई जिलों के किसानों में निश्चित रूप से मायूसी छा गयी है।
इस परियोजना से बिहार के भागलपुर और झारखंड के गोड्डा जिले के 22658 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई प्रस्तावित थी। इस योजना की कुल लागत अब क़रीब 828 करोड़ हो गयी है।
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