माउंट एवरेस्ट और पद्यश्री विजेता संतोष यादव छठ मनाने पहुंची ससुराल

सासू मां द्वारा छठ पर्व करने की जिम्मेवारी दिया जाना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान और सौभाग्य है। वैसे मैं अब तक बिहार में आठ बार छठ में शरीक हो चुकी हूं। इसमें छह बार मुंगेर तथा दो बार नालंदा में विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में शामिल हुई।

पहली बार शादी से पहले 1991 में मुंगेर के छठ में शरीक हुई थी। वर्ष 2014 से लगातार मुंगेर आकर छठ कर रही हूं। यह बातें बुधवार को महिला पर्वतारोही एवं सबसे कम उम्र में पद्यश्री विजेता संतोष यादव ने कहीं।

बता दें कि संतोष यादव अबतक तीन बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ चुकी है। इसमें दो बार ग्रुप लीडर के रूप में फतह हासिल की। बुधवार को छठ के खरना के दिन संतोष यादव ने कहा कि वैसे तो मैं 1991 से लगातार छठ के मौके पर दिल्ली में अर्घ्य अर्पण करती रही हूं, पर वर्ष 2013 में अर्घ्य देते समय स्वत: अंदर से छठ करने की इच्छा मन में आई।

वर्ष 2014 के 23 अक्टूबर को अचानक सासू मां का फोन आया। सासू मां ने फोन पर कहा कि बहू तुम आ जाओ और छठ की जिम्मेवारी संभालो। यह सुन मुझे जो सुकून मिला। तभी से लगातार मुंगेर आकर छठ कर रही हूं।

श्रीमती यादव ने बताया कि छठ पर्व पूरी तरह समर्पण भाव का पर्व है। इसमें किसी भी तरह की गलती क्षमा योग्य नहीं है। आज पूरी सृष्टि भगवान भास्कर के ईद-गिर्द है। पूरे परिवार व समाज के लिए इस परंपरा को निभाना बहुत बड़ी जिम्मेवारी है। क्योंकि पूरे परिवार व समाज सुरक्षित रहें, इसी मनोकामना के साथ यह पर्व किया जाता है। लोकहित में भगवान सूर्यदेव मानसिक व शारीरिक शक्ति प्रदान करते हैं। पर्वतारोही संतोष यादव ने कहा कि आज आवश्यकता है संस्कृति को संजोए रखने की। जिसकी प्रेरणा हमें पर्व-त्योहारों से मिलती है। संस्कृति से ही प्रकृति व पर्यावरण सुरक्षित रहता है। जब पर्यावरण सुरक्षित व संतुलित रहेगा तो देश की अर्थव्यवस्था स्वत: ठीक रहेगा।

संस्कृति, प्रकृति व पर्यावरण से विज्ञान का क्षेत्र हो या सामाजिक, राजनैतिक या आर्थिक सभी संतुलित रूप से काम करेंगे। जिससे ब्रह्माण्ड को सुरक्षित और संतुलित रखा जा सकता है। हमारे देश में जितने भी पर्व हैं, सभी के नियम हैं जो हमारी मानसिकता को सुरक्षित रखने के लिए प्रेरित करते हैं।

गंगा में डालें पूजा सामग्री : छठ महापर्व करने मुंगेर आईं पर्वतारोही संतोष यादव ने बुधवार को गंगा स्नान किया। वहीं गंगा स्नान कर रहे श्रद्धालुओं से कहा कि पूजा सामग्री को गंगा में प्रवाहित न करें। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि इससे गंगा में प्रदूषण बढ़ता है।

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