मोदी के चार साल : उपलब्धियों के बीच भी ये नाकामियां
मोदी के सत्ता में आये हुए चार साल पूरे हो चुके हैं। 2014 में कांग्रेस की नाकामियों को गिनाकर और कई सारे वादे कर के मोदी सरकार सत्ता में आई। 1984 के बाद 2014 का चुनाव में ऐसा पहला मौका था, जब देश की जनता ने किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत दिया। इसलिए यहां जरूरी है सरकार की नाकामियों का जिक्र करना ताकि इसका अंदाजा लगाया जा सके की सरकार किन-किन मोर्चों पर विफल रही है और कई सारी उपल्बधियों के बीच भी ये नाकामियां चीख-चीख कर कैसे बोल रही हैं।
पेट्रोल-डीजल का दाम सातवें आसमान पर
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पेट्रोल-डीज़ल का दाम सबसे महंगा हुआ है। सरकार सत्ता में आने से पहले पूरे दावे के साथ कहती थी कि पेट्रोल-डीजल के दाम कांग्रेस की सरकार से भी कम होगी। हैरान करने वाली बात तो ये है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत कम है, फिर भी भारत में तेल की कीमतें लगातार आसमान छू रही हैं। सरकार कहती है कि राज्यों का सपोर्ट नही मिलने की वजह से पेट्रोल डीजल महँगा है। लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि देश की 19 राज्यों में बीजेपी ही सत्ता में है फिर कैसे सरकार को सपोर्ट नहीं मिल रहा है? क्या सरकार की खुद की पार्टी दगाबाज़ है या फिर सरकार के वादे सिर्फ वादे ही बन कर रह जाते है? काफी जद्दोजहद और मुश्किल से सरकार ने पेट्रोल 1 पैसे सस्ता किया था जिससे मोदी सरकार की नाकामयाबी साफ झलकती हैं।
कश्मीर घाटी और पाकिस्तान पर सरकार का स्टैंड
सत्ता में आने से पहले बीजेपी के दो सबसे बड़े हथियार थे कश्मीर मुद्दा और पाकिस्तान। अगर सरकार की कांग्रेस से तुलना करें तो कश्मीर घाटी की हालात बद से बदतर हुई है। लागातार पत्थरबाजी और अशांत माहौल का सामना सरकार ने भी किया और कश्मीर वादियों में रह रहे लोगो ने भी। सरकार के नेताओं और खुद पीएम मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव के पहले हर भाषण में जिक्र किया है कि अगर उनकी सरकार आती है तो पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।मोदी सरकार भी आई लेकिन पाकिस्तान को अबतक करारा जवाब नही मिला जिससे पाकिस्तानी गोलीबारी में कमी आये। सरकार ने यह भी वादा किया था कि उनकी सरकार बनते ही पाकिस्तान के साथ बॉर्डर पर होने वाले सीजफायर उल्लघंन के मामलों में कमी आएगी। भले ही मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक कर अपने इरादों को जाहिर तो किया है, मगर ठोस रणनीति के अभाव में सीमा पर लगातार गोलीबारी और हिंसक घटनाएं बढ़ी हैं।
कालेधन के मामले में औंधे मुंह गिरी सरकार
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने कई भाषण दिये है। चुनावी रैलियों में पीएम मोदी का एक भी भाषण ऐसा नहीं होता था, जो बिना कालेधन के जिक्र के संपन्न हो जाए। पीएम मोदी ने कहा था कि जब उनकी सरकार सत्ता में आएगी तो विदेशों में जमा सभी भारतीय लोगों का कालाधन ले आएगी और साथ ही यह कालाधन इतना अधिक होगा कि सरकार हर व्यक्ति को 15-15 लाख रुपये देगी। मोदी सरकार के चार साल पूरे हो चुके है, मगर अब भी लोग ताक में हैं कि कब सरकार विदेशों से भारतीयों का कालाधन जब्त करेंगी और कब उनके खाता में 15 लाख रुपए की बड़ी राशि आएगी। देखा जाए तो सरकार की सबसे बड़ी नाकामयाबी इसी से झलकती है कि सरकार को मालूम तक भी नहीं की विदेशों में कितना कालाधन जमा है और वे कब तक देश में आ पाएंगे।
बेरोजगारी के मुद्दे में सरकार फेल
सत्ता में आने से पहले मोदी ने वादा किया था कि हर साल 2 करोड़ रोजगार दिया जाएगा। लेकिन, वर्तमान स्तिथि कुछ और ही बयां करती हैं। रोजगार देने के बजाए सरकार पकौड़े तलने को रोजगार की श्रेणी में लाकर युवाओं को पकौड़े तलने की नसीहत देती है। क्या आने वाला भविष्य पकौड़े तलेगा? तो फिर हमारे देश के भविष्य का क्या होगा?
जल्दबाज़ी में नोटबंदी का फैसला
पीएम मोदी ने नोटबंदी का फैसला कर देश की जनता को भी नाखुश किया और साथ ही एक बड़ा मौका दिया विपक्षों को सरकार पर धावा बोलने का। पीएम का यह फैसला भले ही ऐतिहासिक रहा है मगर इस फैसले से देश की जनता को जो झेलना पड़ा वो भुला नही जा सकता। लंबी कतारों में खड़े होकर नोट बदलवाने को मजबूर हुए हैं लोग और साथ ही इस फैसले से कई जिंदगियां भी काल के गाल में समाई हैं। पीएम मोदी ने कालेधन, भ्रष्टाचार को खत्म करने के उद्देश्य से नोटबंदी जैसा बड़ा फैसला लिया। लेकिन न तो कालाधन खत्म हुआ और न ही भ्रष्टाचार। नोटबंदी की विफलता तो इस बात से साफ झलकती है कि भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार मार्केट में मौजूद पुराने नोट करीब 99 फीसदी वापस आ गये हैं। तो अब सवाल ये उठता हैं कि मार्केट फैले में जाली नोटों का क्या हुआ और देश में छुपे कालेधन का क्या हुआ? क्या नोटबंदी से भ्रष्टाचार पर लगाम लगा, क्या इससे देश की अर्थव्यवस्था में कोई बदलाव आया?
आदर्श ग्राम योजना भी फेल
आदर्श ग्राम योजना के तहत 2016 तक हरेक सांसद को एक-एक गांव को विकसित करना था और बाद में 2019 तक दो गांव और इस प्रकार से गांवों का विकास होते जाता, मगर मोदी सरकार के चार साल तो पूरे हो चुके है और ये आखिरी साल हैं, लेकिन एक भी गांव विकसित नहीं हो पाया हैं । इस पर बीजेपी से सवाल करने पर जवाब तुलनात्मक ही मिलती हैं। अगर सरकार अपने ही किए वादे को करने में नाकामयाब होती है तो कांग्रेस की सभी विफलताओं को गिनाने में लग जाती हैं।
मोदी सत्ता में देश की आंतरिक सुरक्षा भी डगमगाई
मोदी ने सत्ता में आने से पहले विश्वासी रूप से कहा था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती हैं, तो नक्सलियों का सफाया कर देगी, नक्सलवाद का खात्मा कर देगी। मगर छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र में जिस तरह से नक्सली हमले हुए हैं, उससे मोदी सरकार की विफलता उजागर हो चुकी हैं। बीते साल अप्रैल में छत्तीसगढ़ के सुकमा में एक साथ 25 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे। साल 2010 के बाद यह सबसे बड़ा नक्सली हमला था।