कोरोना लॉकडाउन के बीच अभी तक रेलवे ने 37 लाख से अधिक कामगारों को उनके घरों तक पहुंचाया है। देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासियों को उनके गृह प्रदेशों तक पहुंचाने के लिए एक मई से शुरू श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों में अब तक 30 बच्चों का जन्म हुआ है।
23 वर्षीय संगीता पिछले सोमवार को नौ महीने के गर्भ के साथ बेंगलुरु से यूपी स्थित अपने घर लौटने के लिए श्रमिक विशेष रेलगाड़ी में सवार हुई थीं। यात्रा के दौरान उन्होंने रेलगाड़ी में ही सह-यात्रियों की मदद से बेटे को जन्म दिया। बेंगलुरु पुलिस ने दंपति द्वारा बच्चे की भेजी गई तस्वीर भी साझा की।
बीते शुक्रवार को 27 वर्षीय मधु कुमारी ने भी उत्तर प्रदेश स्थित घर लौटने के दौरान ही बच्चे को जन्म दिया। जब उन्हें प्रसव पीड़ा हुई तब रेलगाड़ी में सवार रेलवे कर्मचारियों ने इसकी सूचना रेलवे सुरक्षा बल को दी। बच्चे का जन्म रेलगाड़ी के झांसी रेलवे स्टेशन पहुंचने से पहले ही हो गया।
इन विशेष रेलगाड़ियों में बच्चे के जन्म की पहली घटना आठ मई को हुई, जब गुजरात से अकेले बिहार जा रही ममता यादव ने बच्चे को जन्म दिया। यात्रियों में से किसी ने तुरंत बच्ची का नाम कोरोना कुमारी रख दिया। 13 मई को पिंकी यादव ने अहमदाबाद-फैजाबाद श्रमिक विशेष रेलगाड़ी में आरपीएफ कर्मियों की मदद से बेटे को जन्म दिया।
रविवार को उत्तर प्रदेश आने वाली विशेष रेलगाड़ी में जन्म लेने वाली एक बच्ची का नाम ‘लॉकडाउन यादव’ रखा गया है। इसी तरह बेंगलुरु से शुक्रवार को श्रमिक विशेष ट्रेन से उत्तर प्रदेश के बलरामपुर स्थित अपने घर जाने के लिए रवाना हुई नौ महीने की गर्भवती महिला ने शनिवार को महिला सहयात्रियों की मदद से चलती ट्रेन में बच्ची को जन्म दिया।