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आम आदमी पार्टी के 20 एमएलए अयोग्य, मिली राष्ट्रपति की मंजूरी

नयी दिल्ली : अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी (आप) को रविवार को बड़ा झटका लगा. लाभ का पद के मामले में दोषी पाये जाने के बाद एक झटके में विधानसभा में उनके 20 सदस्य कम हो गये। आम आदमी पार्टी ने इसे पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक दबाव में चुनाव आयोग द्वारा लिया गया निर्णय बताया, तो ‘आप’ के बागी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल एंड टीम की करतूत की वजह से आयोग को ऐसा निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि ढाई साल तक मामले की सुनवाई चली। बाद में आम आदमी पार्टी के बचाव का कोई रास्ता नहीं बचा, तो उन्होंने चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब तक देना बंद कर दिया।

चुनाव आयोग द्वारा ‘आप’ के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने से कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने खुशी जतायी। वहीं, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री गोपाल राय ने कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली में चुनाव नहीं चाहती। यदि कांग्रेस और भाजपा मिलकर दिल्ली के विकास कार्य को रोकना और जनता पर चुनाव का बोझ डालना चाहती है, तो उनकी पार्टी चुनावों का सामना करने के लिए तैयार है।

इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल की सरकार सुरक्षित है

हालांकि, 20 विधायकों की सदस्यता खत्म होने के बावजूद अरविंद केजरीवाल की सरकार सुरक्षित है। आने वाले दिनों में इन सीटों पर चुनाव हो सकते हैं। चुनाव में यदि ‘आप’ का प्रदर्शन खराब हुआ, तो उसकी सत्ता खतरे में पड़ जायेगी, क्योंकि आम आदमी पार्टी के 20 और विधायकों के खिलाफ शिकायत की गयी है। यदि उनके मामले में भी चुनाव आयोग और राष्ट्रपति ने ऐसा ही फैसला लिया, तो केजरीवाल की कुर्सी बचनी मुश्किल हो जायेगी।

दरअसल, आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के चुनाव आयोग की सिफारिश को राष्ट्रपति ने रविवार को मंजूरी दे दी। मामला लाभ के पद से जुड़ा हुआ है। हालांकि, आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग पर केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि उसका पक्ष सुने बिना आयोग ने एकतरफा फैसला लिया है। दूसरी तरफ, रिपोर्टों में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने इस मामले में ढाई साल तक सुनवाई की। कई बड़े वकीलों ने विधायकों का पक्ष रखा। लंबी प्रक्रिया के बाद चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को दोहरे लाभ के पद का लाभ लेने का दोषी पाया और इनकी सदस्यता रद्द करने की राष्ट्रपति से सिफारिश की थी।

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