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इनसे पहले से है सुविधा

अभी बीमा और दूरसंचार क्षेत्र में पोर्टिबिलिटी की सुविधा उपलब्ध है। दूरसंचार कंपनी बदलने के बावजूद नंबर नहीं बदलता है।

आधार से पोर्टिबिलिटी में समस्या नहीं

मूंदड़ा ने कहा कि बैंक खातों को आधार से जोड़ने के कारण पोर्टिबिलिटी की समस्या नहीं आएगी। केंद्रीय भुगतान सिस्टम के तौर पर नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन की भी इस में अहम भूमिका होगी। उन्होंने इंडियन बैंक एसोसिएशन से इसके लिए ढाँचागत तैयारी शुरू करने को कहा है।

बैंकों की मनमानी पर नकेल

  • इससे ग्राहकों को सस्ती और गुणवत्ता पूर्ण सेवाएं मिलेगी
  • बैंकों की मनमानी के खिलाफ ग्राहकों को विकल्प मिलेगा
  • आधार या मोबाइल नंबर आधारित एप्प से पैसे के लेन-देन में आसानी होगी
  • केवाईसी रिकॉर्ड आसानी से एक से दूसरे बैंक को ट्रांसफर
  • कोर बैंकिंग सेवा से बैंको के जुड़े होने के कारण आसानी
  • आईएफएससी कोड, कस्टमर रिलेशन नंबर की जरूरत नहीं होगी

खाता धारकों की अड़चने

अभी खाताधारकों को खाता नंबर के अलावा आईएफएससी कोड, मोबाइल मनी आइडेंटीफायर, कस्टमर रिलेशनशिप नंबर जैसे कई आंकड़ों को सहेज कर रखना पड़ता है, लेकिन खाता पोर्टिबिलिटी की सुविधा के बाद सिर्फ बैंक खाता नंबर से ही पहचान हो जाएगी। अभी के समय में अगर ग्राहक खाता एक बैंक से दूसरे बैंक में स्थानांतरित करना चाहता है तो बैंक उसे मौजूद खाता बंद कर दूसरा खाता खोलने की सलाह देते हैं।

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