अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुके तालिबान को करारा जवाब मिला है। बगलान प्रांत के अंदराब में तालिबान पर घात लगाकर हमला किया गया। इस हमले में कम से कम 300 तालिबान लड़ाके मारे गए। आपको बता दें कि जिस समूह ने यह हमला किया है, उसका नेतृत्व अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह कर रहे हैं। इसकी जानकारी बीबीसी पत्रकार यादला हाकिम ने दी है।
आपके बता दें कि इससे पहले अफगानिस्तान में पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने तालिबान के साथ जाने के दावे को खारिज कर दिया है। मसूद ने कहा है कि वह अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेगा और तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा। साथ ही तालिबान को ललकारते हुए कहा कि विरोध की शुरुआत हो चुकी है।
Update from the Anti-Taliban resistance – they tell me: Taliban ambushed in Andarab of Baghlan province. At least 300 Taliban fighters were killed. The group is lead by #AhmadMassoud & @AmrullahSaleh2 #Afghanistan pic.twitter.com/uJD1VEcHY1
— Yalda Hakim (@BBCYaldaHakim) August 22, 2021
अफगानों की आजादी के लिए लड़ना है
अहमद मसूद ने 16 अगस्त को लेवी को एक पत्र में लिखा था कि मेरे पिता कमांडर मसूद जो हमारे राष्ट्रीय नायक है ने मुझे एक विरासत दी है और वह विरासत अफगानों की आजादी के लिए लड़ना है। वह लड़ाई अब अपरिवर्तनीय रूप से मेरी है। मेरे साथी मेरे साथ अपना खून बहाने को तैयार हैं। हम सभी आजाद अफगानों से, उन सभी से, जो दासता को अस्वीकार करते हैं, हमारे गढ़ पंजशीर में शामिल होने का आह्वान करते हैं।
अमेरिका और फ्रांस से मदद मांगी
अहमद मसूद ने फ्रांस, यूरोप, अमेरिका और अरब से भी मदद मांगी है। उन्होंने बताया कि 20 साल पहले सोवियत संघ और फिर तालिबान के खिलाफ उनकी लड़ाई में ये देश पहले उनकी मदद कर चुके हैं।
एकमात्र प्रांत जो तालिबान के कब्जे से मुक्त
अहमद मसूद ने अमरुल्ला सालेह जो कार्यवाहक राष्ट्रपति होने का दावा कर रहे हैं के साथ मिलकर अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत की सुरम्य घाटी से तालिबान विरोधी मोर्चा शुरू किया है। पंजशीर तालिबान विरोधी आंदोलन का केंद्र रहा है। 2001 में अहमद शाह मसूद को तालिबान और अल-कायदा ने साजिश के तहत मार गिराया था। उस वक्त अहमद सीनियर सिर्फ 12 साल के थे। काबुल के उत्तर-पूर्व में 100 किलोमीटर दूर स्थित पंजशीर पर तालिबान का कब्जा नहीं है।
तालिबान के खिलाफ मोर्चा बनाया
अहमद मसूद के लिए न ही अफगानिस्तान की मौजूदा परिस्थितियां नई हैं और न ही वह लड़ाई जिसके लिए उन्होंने हथियार उठाए हैं। बचपन से वह अपने पिता को आतंकियों के खिलाफ लड़ते हुए देख रहे हैं। उन्होंने 2019 में एक गठबंधन बनाया था जिसे नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान कहा जाता था। यह गठबंधन नादर्न अलायंस की तर्ज पर तैयार किया गया था, जिसमें उनके पिता शामिल थे।