अफगानिस्तान में 20 साल बाद कब्जा जमाने वाले तालिबान के राज को मान्यता देने को लेकर अमेरिका किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। अमेरिका ने कहा कि उसे अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता देने की कोई जल्दी नहीं है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने बुधवार (वाशिंगटन के समयानुसार) को एक प्रेस वार्ता में कहा कि न तो हमें जल्दी है और न ही जिन देशों से अमेरिका ने हाल के दिनों में बात की है, उनमें ऐसी कोई हड़बड़ी है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह उनके (तालिबान) व्यवहार पर बहुत निर्भर करेगा और क्या वे वैश्विक समुदाय की अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं।

प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि अमेरिकी सरकार और अंतररार्ष्ट्रीय समुदाय तालिबान को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में मान्यता देने की जल्दबाजी में नहीं है। किसी भी अन्य परिस्थिति की तरह यह हालात पर निर्भर करेगा। अमेरिकी सरकार और अंतररार्ष्ट्रीय समुदाय मान्यता देने की जल्दबाजी में नहीं है। बता दें कि 31 अगस्त को अमेरिका अफगानिस्तान से निकल गया। इस तरह से अब 20 साल बाद 1 सितंबर को अफगानिस्तान की अमेरिका समेत नाटो की सेना की गैरमौजूदगी में नींद खुली।

इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या आखिरी अमेरिकी सैनिकों के निकलने के बाद तालिबान और व्हाइट हाउस के बीच कोई संचार चैनल है, प्रेस सचिव ने कहा कि कुछ प्रकार के संचार और समन्वय की जरूरत होगी, क्योंकि तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कई देशों के साथ समन्वय में एक प्रस्ताव पारित किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दुनियाभर के देश तालिबान से क्या चाहते हैं। प्रेस सचिव ने कहा कि यह स्पष्ट करते हुए कि हम तालिबान से जो उम्मीद करते हैं, उसे लेकर एकजुट हैं, ये कई देश हैं जिन्होंने 100 देशों की सूची बनाने में मदद करने के लिए हमारे साथ काम किया।

अमेरिका ने अफगानिस्तान से सैनिकों और अपने नागरिकों को निकालने के निकासी अभियान को अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा एयरलिफ्ट बताया। हालांकि, यह तथ्य है कि तालिबान ने 120,000 से अधिक लोगों के लिए सुरक्षित मार्ग की अनुमति दी, बावजूद इसके अमेरिका को यह नहीं लगता कि तालिबान एक अच्छा एक्टर है। प्रेस सचिव ने कहा कि हमें इसे पूरा करने के लिए समन्वय में उनके साथ काम करने की जरूरत है।”

यूनाइटेड नेशनल में अमेरिका की पूर्व दूत निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका को चीन पर करीब से नजर रखने की जरूरत है क्योंकि वह बरगाम वायु सेना को अपने कब्जे में लेने के लिए कदम उठा रहा है, जिस पर पिछले 20 वर्षों से अमेरिका का नियंत्रण था। हेली ने कहा कि सबसे पहले हमें सहयोगियों के साथ जुड़ना शुरू करना होगा, चाहे वह ताइवान हो, चाहे वह यूक्रेन हो, चाहे वह इज़राइल हो, चाहे वह भारत हो, ऑस्ट्रेलिया हो, जापान हो। हमें उन्हें आश्वस्त करना होगा कि हम साथ देंगे और हमें भी उनकी जरूरत है।

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