अष्टमी और नवमी में कैसे करें व्रत का परायण और कलश विसर्जन
अधिकांशतया शारदीय नवरात्र की अष्टमी के दिन ही व्रत का परायण हो जाता है। व्रत परायण के साथ ही सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है कलश विसर्जन। यह कार्य सभी को विधि विधान के साथ करना चाहिए। इससे मां भगवती का आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा। घर में सुख शांति और समृद्धि होगी।
कैसे करें:
1. यज्ञादि और अग्यारी करने के बाद आप कन्या भोजन कराएं। यथाशक्ति कन्याओं को उपहार दें। कन्याओं में से एक कन्या को आप भगवती के नौ अवतारों का एकीकृत स्वरूप मानते हुए उनका विशिष्ट पूजन करें। दान दक्षिणा दें। पैर धोएं। इस कन्या को दुर्गा मानकर नौ दिन में आपने देवी निमित जो भी सामग्री या प्रशाद निकाला हो, वह उस कन्या को दे दें।
2. कन्या पूजन के बाद, देवी भगवती का सपिरवार ध्यान करें। क्षमा याचना करें कि हे देवी, हम मंत्र, पूजा, विधान कुछ नहीं जानते। अपनी सामर्थ्यानुसार और अल्पज्ञान से हमने आपके व्रत रखे और कन्या पूजन किया। हे भगवती, हमको, हमारे परिवार, कुल, को अपना आशीर्वाद प्रदान करो। आप इस घर में सदैव विराजमान रहो। हमको सुख-समृद्धि, विद्या, बुद्धि, विवेक, धन, यश प्रदान करो।
3. इसके बाद देवी सूक्तम का पाठ करते हुए यह मंत्र विशेष रूप से पढ़ें…या देवि सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। ( एक अन्य मंत्र में शांति के स्थान पर लक्ष्मी का प्रयोग होगा।)। इन मंत्रों को 11 बार पढ़ें। कलश विसर्जन ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
-मंत्र को जपते हुए कलश उठाइये। नारियल को अपने माथे पर लगाइये और नारियल-चुनरी आदि अपनी मां, पत्नी, बहन की गोद में रखिए। इसके बाद कलश लेकर आम के पत्तों से कलश के जल को अपने घर के चारों कोनों पर छिड़किए। ध्यान रहे, सबसे पहले किचन में छिड़कें। यहां लक्ष्मी जी का वास है। इसके बाद, अपने शयन कक्ष में, स्टडी रूम में, ड्राइंग रूम में और अंत में घर के प्रवेश द्वार पर छिड़किए। बाथरूम में जल नहीं छिड़कना है।
-कलश के जल को तुलसी के गमले में अर्पण कर दें। जो सिक्का कलश में डाला हो, उसको अपनी तिजोरी में रख लें। उसको खर्च न करें। बांधें रक्षा कवच सूत्र कलश और अखंड ज्योत के दीपक पर बंधे कलावे को आप अपनी बाजू में बांध सकते हैं और गले में पहन सकते हैं।
यह देवी का सिद्ध रक्षाकवच होगा जो आपके लिए काम करेगा। कवच सूत्र बांधते हुए जो भी आपको देवी मंत्र याद हो, पढ़ते रहिए। यह सूत्र घर के सब सदस्य पहन सकते हैं। इस तरह नवरात्र व्रत का परायण संपन्न हुआ। अष्टमी और नवमी से व्रत का परायण करने वाले इस विधि से कलश विसर्जन करेंगे तो उसका लाभ होगा। अष्टमी या नवमी तिथि को व्रत परायण करने वालों को चाहिए कि अखंड ज्योति को विजयदशमी के पूजन तक प्रज्जवलित रखें। विजयदशमी को भगवान राम ने अपराजिता देवी का पूजन किया था। अपराजिता देवी ही दुर्गा हैं।