Shalinee Kumari
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student of class 11th, interested in exploring about history and social issues. crazy behind nation, stands with own view , anchor, debator, blogger, realistic and not realistic writer.
ख़त
देखो आज फिर वो खत आया है
जाने ना, आज क्या पैगाम लाया है
तड़प रही थी आंखें मेरी
देखने को जिनको ,
छूने को उनके हर एहसास ।
ना जाने पर कैसा रिश्ता , रखता है
उनको हमसे दूर और खुद के पास
लिखते हैं कि जंग छिड़ी है
घर वापस आऊंगा, ये खों दो आश
प्यार बहुत मैं करता तुमसे
पर मेरी हर सांस पर है ,
धरती...
जरा और जर्रा-जर्रा
वो आकर कुछ कह गए,
गिला तो तुमने फिर भी किया।
सिलसिला उनकी चाहत का,
तुमने कौन सा समझ लिया?
वो क्या जरा सा बदले,
तुमने तो अपना जर्रा-जर्रा बदल लिया।
वो गलियां क्या बदलने लगे,
तुमने तो शामो शहर बदलना शुरू कर दिया।
वो खता करके हमारे क्या हुए,
तुमने तो हमसे भी जलना शुरु कर दिया।
इतनी नफरत मत करो,
कि खुद की इजाजत लेनी पड़े।
कम...
अंगारे
तु मेरी दुनिया,
तू ही मेरा जहां।
तुझे खोजता फिरे है,
बावरा मन मेरा।
आंखें खोल के जो देखूँ,
वो ख्वाब है तू।
हर लम्हा तलाशु,
वो जवाब है तू।
जिसे लिख ना सकूँ
वो उनस कहानी है तू।
जिनके नाम कर दूं ये जिंदगानी ,
वो लाज़मी खुदा की मेहरबानी है तू।
गुजारिश कुछ ऐसी ,
बारिश में भीगे तू _
जो तेरी रूह को छू जाए
खुश किस्मत वो बूंद में बनू।
कुछ...
वो यादों वाला इश्क़
क्या उसको भी याद होगी,
उसकी वो पहली गुस्ताखी_
जब मेरे लिए,
वो अपनों का दिल तोड़ आया था।
सच में, क्या याद होगा उससे_
मेरी मुस्कान के लिए।
जब वो पहली दफा_
अपना चलता इम्तिहान
छोड़ आया था।
पूछना चाहती हूं उससे,
क्या याद है तुम्हें?
तुम्हारा वो गुस्सा।
जब मेरा तुम्हारे लिए लिखा,
वो खत, तुम्हारा यार
कहीं छोड़ आया था।
तुम्हें याद है,
मैं कैसे ख़ुशी के अश्कों में
बह...
मैं हर रोज
मैं हर रोज ख्वाबों से लड़ती ,
क्यों आने देते हो , उस जालिम को बेवजह
मैं हर रोज धड़कन से पूछती
क्यों नहीं रुक जाते उस पल,
जब धड़कते हो , उसकी बेवफाई में सदा
मैं हर रोज लोगों से कहती,
क्यों नहीं रोकते मुझे ?
जब मेरी निगाहों में दिखता है उसका चेहरा
मैं हर रोज सांसो को टोकती,
क्यों नहीं थम जाते ?
जब...
तेरी आंखें ही काफी है_
तेरा मुझसे कुछ कहने के लिए।
तेरी मुस्कान ही बहुत है_
मेरी मुस्कुराहट के लिए।
तू बस कह दे कुछ _
सब कुछ तेरा कर दूंगी।
एक बार मुझे मांग कर देख
खुद को हर जमाने के लिए तेरा कर दूंगी।।
अब कहां हम आपकी तरह_
दूसरे की बातों में,
अपने लिए खुशियां ढूंढने वालों में से हैं
हम तो बस आप में
अपना सब कुछ...
क्या मेरा वजूद, इतना ही है इस जहां में?
क्या लड़ नहीं सकती मैं?
अपने अस्तित्व के लिए?
या फिर पैदा ही हुई इस गुलिस्तां में_
अपने संसार से विदा होने के लिए।
आज आगमन पर मेरे रोया सारा जहां है।
मन की बस यही व्यथा है
ऐ खुदा तू कहां है?
हे ईशवर् तू बस्ता कहां है?
क्या आसमां को भी अफसोस था?
तभी तो मेरे आगमन पर...
Irony of Independence
We got independence 70 years back.
I live in a democratic country.
I live in a country whose constitution safeguards the words; Secular and Equality in it.
I don't know how much i am independent that , I can't even move once by my choice
I am and my decisions are based on men of my society.
I am raped and if...