1बड़ी पटन देवी मंदिर
बिहार की राजधानी पटना में स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता है इन्हे माँ पटनेश्वरी भी कहा जाता है। ये पटना के सबसे पुराने और पवित्र मंदिरों में से एक है। यह भारत में 51 सिद्ध-शक्ति पिठों में से एक माना जाता है। बड़ी पटन देवी मंदिर गंगा नदी की ओर उत्तर दिशा में मुख किए हुए है। बिना किसी जाति भेद के सभी भक्तों को मंदिर में आने की अनुमति है और मंगलवार के दिन विशेष पूजा होती है। लोक मान्यता है कि भगवान शिव के तांडव के दौरान माता सती के शरीर के 51 खंड हुए। सती के अंग जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्ति-पीठ स्थापित की गई । ऐसा माना जाता है की सती की दाहिनी जांघ यही पर गिरी थी।
सम्राट अशोक के काल का है मंदिर
इस मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसे ‘पटनदेवी खंदा’ कहा जाता है, कहा जाता है कि यहीं से निकालकर देवी की तीन मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया गया था। यहां के बुजुर्गों का कहना है कि सम्राट अशोक के शासनकाल में यह मंदिर काफी छोटा था। इस मंदिर की मूर्तियां सतयुग की बताई जाती हैं। मंदिर परिसर में ही योनि कुंड है, जिसके विषय में मान्यता है कि इसमें डाली जाने वाली हवन सामग्री भूगर्भ में चली जाती है। देवी को प्रतिदिन दिन में कच्ची और रात में पक्की भोज्य सामग्री का भोग लगता है। यहां प्राचीन काल से चली आ रही बलि की परंपरा आज भी विद्यमान है।
होती है वैदिक और तांत्रिक पूजा दोनों
वैसे तो यहां मां के भक्तों की प्रतिदिन भारी भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्रि के प्रारंभ होते ही इस मंदिर में भक्तों का तांता लग जाता है। भक्तों की मान्यता है कि जो भक्त सच्चे दिल से यहां आकर मां की अराधना करते हैं, उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।मंदिर के महंत विजय शंकर गिरि बताते हैं कि यहां वैदिक और तांत्रिक विधि से पूजा होती है। वैदिक पूजा सार्वजनिक होती है, जबकि तांत्रिक पूजा मात्र आठ-दस मिनट की होती है। परंतु इस मौके पर विधान के अनुसार, भगवती का पट बंद रहता है। गिरि कहते हैं कि नवरात्र में यहां महानिशा पूजा की बड़ी महत्ता है। जो व्यक्ति अर्धरात्रि के समय पूजा के बाद पट खुलते ही 2.30 बजे आरती होने के बाद मां के दर्शन करता है उसे साक्षात् भगवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कैसे पहुंचे
यह मंदिर पटना के गुलज़ार बाग़ इलाके में स्थित है।