बकरीद आज, नमाज के बाद दी जाएगी कुर्बानी
ईद-उल-अजहा कुर्बानी का पर्व शनिवार को मनाया जाएगा। इसके लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों और बाजारों में देर रात तक खरीदारी होती रही। इसके कारण चहल-पहल रही। युवकों में इस पर्व को लेकर विशेष उत्साह दिखा। यह बकरीद का पर्व कुर्बानी का माना जाता है। इसके लिए लोग बकरा खरीदते हैं। शुक्रवार को बकरों की लगी मंडी में खरीदारों की भीड़ रही। बकरीद की विशेष नमाज के बाद कुर्बानी दी जाती है। इस कुर्बानी के बाद बकरों का गोश्त परिवार के साथ ही पड़ोसियों, गरीबों तथा यतीमखानों में वितरित कर दिया जाता है।
शहर के विभिन्न स्थानों पर नमाज अदा की जाएगी। ईद के 70 दिन बाद मनाई जाती है बकरीद इस्लाम धर्म के तहत दो ईद मनाई जाती हैं। रमजान के बाद ईद-उल फितर मनाई जाती है और उसके 70 दिन बाद ईद-उल जुहा का मौका आता है, जिसे बकरीद भी कहते हैं। बकरीद के मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करते हैं। साथ ही बकरो की कुर्बानी दी जाती है।
क्या कहते है जानकार इस्लामिक जानकार बताते हैं कि एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम को सपने में अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान मांगी। हजरत इब्राहिम के सबसे प्यारा उनका बेटा हजरत ईस्माइल ही थे। अल्लाह का हुक्म पूरा करना उनके लिए एक कड़ा इम्तिहान था।अल्लाह के हुक्म पर अमल किया और बेटे को अल्लाह की रजा के लिए कुर्बान करने को राजी हो गए। इमारते शरियार के मुफ्ती शाहीद काशमी बताते हैं कि हजरत इब्राहिम को लगा कि बेटे की कुर्बानी देते समय उनका प्यार कहीं आड़े ना आ जाए. इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली।
इसके बाद हजरत इब्राहिम ने जब बेटे ईस्माइल की गर्दन काटने के लिए छुरी चलाई तो अल्लाह के हुक्म से ईस्माइल अलैहिस्सलाम की जगह एक दुंबा पेश कर दिया गया। देते है कुर्बानी इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने जब आंख से पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने बेटे को अपने सामने जिंदा खड़ा पाया। अल्लाह को हजरत इब्राहिम का ये अकीदा इतना पसंद आया कि हर साहिबे हैसियत(जिसकी आर्थिक हालत बकरा या दूसरा जानवर खरीदकर कुर्बान करने की हो) पर कुर्बानी करना वाजिब कर दिया। उन्होंने बताया कि अल्लाह ने जो पैगाम हजरत इब्राहिम को दिया वो सिर्फ उनकी आजमाइश कर रहे थे। ताकि ये संदेश दिया जा सके कि अल्लाह के फरमान के लिए मुसलमान अपना सब कुछ कुर्बान कर सके।