1बस एक तमन्ना है मेरी

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बस एक तमन्ना है मेरी ,

क्या कर दोगे वो तुम पूरी,

मैं चाहूं गर सोना,

हो अमन का बिछौना ,

चैन की हो चादर,

सुकून का हो तकिया ,

चांदनी की हो चँवर,

हवाएँ हो ठंडी, न सपने बुरे हो,

ना हो नींदों में आहें ,

ना बेबसी की हो सिसकी ,

ना  निराशा घनेरी ,

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 जब खुले आँख मेरी ,

हो सूरत बस तेरी,

उम्मीद का हो आँगन,

 प्यार का हो उजाला,

 सपनों की हो नगरी,

 बस ये तमन्ना है मेरी,

क्या कर दोगे इसको पूरी।

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Susmita is a homemaker as well as a writer. She loves writing whatever comes in her mind either its about home affair or about social or political affairs. She believe sharing your opinion is a great power of human being which can make social changes and bring people together. She believe enjoying every sip of life.