बिहार दिवस (22 march) विशेष : गर्व से कहो हम बिहारी हैं

thebiharnews-in-bihar-diwas-2018देल्ही में रह कर पढ़ाई करने वाला अभिषेक पटना में रहने वाले अपने अभिभावकों से तब ही फ़ोन पर बात करना पसंद करता है जब वो अकेले हो ,अगर दोस्तों के बीच या बाजार में हो तो उसे बड़ी झिझक महसूस होती है क्योंकि फ़ोन पर अपने माँ पिता से वो दिल्ली वाली “शुद्ध हिंदी” में बात नहीं कर सकता और सबके सामने बिहार वाली हिंदी या भोजपुरी में बात करने पर लोगो के मखौल उड़ाती नज़रों का सामना करना पड़ता है ।

बिहार के शर्मा जी 20 सालों से मुंबई में है और अपने को मुंबई का ही बाशिंदा बताते है। “आप कहाँ से belong करते हैं “लोगो द्वारा ये पूछे जाने पर वो जवाब टाल जाते हैं।

ये बस दो उदाहरण थे जो बताते है की खुद बिहारियों को अपने बिहारी होने पर शर्म महसूस होता है।
दूसरे प्रदेश के लोग बिहारियो का मज़ाक बनाते है।जहां मुंबइया ,पंजाबी या देल्हिआइट लहज़े में बाते करना स्टाइलिश माना जाता है भोजपुरी या बिहारी लहज़े में बोलना बहुत लो स्टैंडर्ड का माना जाता है। बिहार की छवि एक ऐसे राज्य के रूप में है जहां जंगल राज है ,जहां औरते बहुत ही असुरक्षित है ,जहाँ लोग अन पढ़ है आदि आदि।

अगर आप भी ऐसा सोचते है तो आइये यहां हम कुछ ऐसी बातों का जिक्र करना चाहते हैं जो आपके इस भ्रम को तोड़ दे।ये कुछ ऐसी बाते हैं जो दूसरे प्रदेश के लोगो को ही नहीं बिहारियों को भी बिहार के बारे में ज़रूर जाननी चाहिए। क्योंकि अगर हम बिहारी अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को नहीं पहचानेगे तो दुसरो से ऐसी अपेक्षा करना व्यर्थ है। अगर हम दुसरो से सम्मान की अपेक्षा करते हैं तो ये ज़रूरी है की हम अपना खुद का सम्मान करना सीखे। दूसरे राज्यों में रहकर वहां की नक़ल करने कर ,अपने बिहारी होने को झुठलाने से कही सम्मान जनक है अपने प्रदेश अपने बिहारी होने पर गर्व करना।

बिहार का गौरवपूर्ण इतिहास

thebiharnews-in-bihar-diwas-oldविश्व के पहले गणतंत्र से लेकर आज़ादी की लड़ाई तक बिहार का इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।महान सम्राज्य मौर्य-वंश का उदय स्थल और गुप्त सम्राज्य की राजधानी रही वर्तमान पटना ने
पुष्पपुर,कुसुमपुर,पाटलिपुत्र ,अज़ीमाबाद तक जाने कितने नाम बदले पर भारतीय इतिहास के लगभग सभी कालो में इसका राजनीतिक,सामरिक और आर्थिक महत्व बना रहा। भारतीय स्वतंत्र संग्राम में भी बिहार ने मुख्य भूमिका निभाई। 1857 में आज़ादी की पहली लड़ाई में बाबू वीर कुंवर सिंह से लेकर डॉ राजेंद्र प्रसाद तक अनेको बिहारियों ने आज़ादी की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई। आज़ादी के लिए किये गए आंदोलनों चाहे वो चंपारण सत्याग्रह हो या भारत छोडो आंदोलन सभी में बिहार की भूमिका प्रमुख रही। बिहार में ही विश्व की प्रथम विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।

वर्तमान परिदृश्य

ये तो हुई बिहार के गौरवशाली अतीत की बाते। वर्तमान की बात की जाए तो भी कुछ ऐसे तथ्य है जो बताते है की कई बातों में हमारा प्रदेश उपलब्धियों से परिपूर्ण है और कई राज्यों से बेहतर है।

धार्मिक सहिष्णुता का प्रदेश

बिहार की धरती पर जैन और बौद्ध धर्म का जन्म हुआ। सिक्खो के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली भी यही है। आज भी अन्य प्रदेशों की अपेक्षा यहां धार्मिकता ने घिनौना स्वरूप नहीं लिया है। दलितों पर होने वाले अत्याचार के मामले में बिहार पहले स्थान पर न होकर तीसरे स्थान पर है पर बिहार को बदनाम इस हद तक किया गया है मानो इससे ज्यादा हिंसक राज्य कोई नहीं।
यहां रहने वाले दूसरे प्रदेश के लोगो के खिलाफ कभी भी ऐसे कोई हिंसक आंदोलन नहीं हुए जैसे मुंबई या आसाम में बिहारियों के खिलाफ हुए।

अनमोल रत्न साहित्य के क्षेत्र में

thebiharnews-in-bihar-diwas-oldसाहित्य के क्षेत्र में बिहार ने बहुत से ऐसे रचना-कारों को जन्म दिया जिनके बिना भारतीय साहित्य की विवेचना अधूरी है। विद्यापति ,रामवृक्ष बेनीपुरी , राम धारी सिह दिनकर ,देवकी नंदन खत्री ,नलिन विलोचन शर्मा ,फणीश्वरनाथ रेनू,गोपाल सिंह नेपाली ,बाबा नागार्जुन और भी जाने कितने ही नाम है जिहोने ने हिंदी साहित्य के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया। वर्तमान में भी डॉ उषा किरण खान ,मृदुला सिन्हा ,ऋषीकेश सुलभ,मधुकर गंगाधर आदि बहुत सारे साहित्यकार साहित्य सेवा में लगे है।

महिलाओ के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित राज्य

आमतौर पर बिहार में जंगल-राज की बात कही जाती है। लेकिन आंकड़े बताते हैं की यह राज्य महिलाओं की सुरक्षा के मामले में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली से बेहतर है।इन सभी राज्यों में रेप या गैंग रेप की घटनाएँ बिहार से कई गुना ज्यादा होती हैं।आमतौर पर बलात्कार के कारणों में अशिक्षा को भी जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन विडंबना है कि संपूर्ण साक्षरता के लिए जाना जाने वाला राज्य केरल में भी महिलाएं बिहार से ज्यादा सुरक्षित नहीं।

अपराध के आंकड़ों की सूची में बिहार बहुत नीचे

ये जान कर आपको बहुत आश्चर्य होगा की राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा प्रकाशित सूची में बिहार का स्थान 22 वां है यानी 21 राज्य ऐसे है जहां अपराध बिहार से ज्यादा होते है। फिर भी बिहार में जंगल राज है ऐसा आम धरना है इसे विडंबना ही कहेंगे। एक बात और ग़ौरतलब है की 2016 में बिहार पुलिस की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में पूर्ण शराब बंदी लागू होने के बाद अपराध दर में करीब 27 प्रतिशत की कमी आयी है।

तेज़ विकास दर

आपको ये जान कर आश्चर्य होगा की जिस राज्य को अत्यंत पिछड़ा हुआ माना जाता है उसकी आर्थिक विकास दर देश के सभी राज्यों से बेहतर है। इस मामले में विकसित प्रदेश माने जाने वाले महाराष्ट्र और गुजरात को भी इसने पीछे छोड़ दिया है।

प्रतियोगी परीक्षाओं में भी हमेशा आगे रहे बिहारी छात्र

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बिहार के छात्र छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का जलवा लगभग हर प्रतियोगी परीक्षाओं में दिखाया है। प्रशासनिक परीक्षाएं हो या आई.आई. टी की परीक्षा बिहार के सफल छात्र का अच्छा खासा प्रतिशत रहा है।जहां रूबी राय और गणेश प्रकरण के कारण बिहार की शिक्षा व्यवस्था का मखौल उड़ाया जा रहा है उसी प्रदेश के बारे में आपको जानकर आश्चर्य होगा की :-
1 जनवरी 2017 के अनुसार देश में आईएएस कैडर का हर दसवाँ आदमी बिहार से है।
देश के 1588 आईएएस अफसरों में से 108 बिहार के हैं (ये आंकड़े 1997 से 2006 के बीच के हैं)। ।
देश भर के कुल 4926 ( मार्च 2017 तक) आईएएस अधिकारियों में 462 अकेले बिहार से हैं। यानी 9.38 प्रतिशत टॉप ब्यूरोक्रेट्स बिहारी हैं।
केंद्र में 52 विभाग हैं। इनमें सात के सचिव बिहार कैडर के हैं।
1972 से 2016 तक, यूपीएससी में सबसे ज्यादा टॉपर बिहार के ही हुए हैं। इस मामले में बिहार उत्तर प्रदेश के साथ संयुक्त रूप से पहले स्थान पर है। दोनों प्रदेश ने 5-5 यूपीएससी टॉपर दिए हैं।
बिहार के छात्रों ने प्रतिकूल स्थितियों में भी अपने कठिन परिश्रम और दृढ़ लगन से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है बिहार के गया के पटवा टोली के बच्चे। बुनकरों का ये गांव अब आई.आई. टी हब के नाम से जाना जाने लगा है।मेहनत मजदूरी कर अपना पेट पालने वाले इस गाँव से पिछले 23 साल से लगातार छात्र आई आई टी के लिए चुने जाते है। पिछले साल 15 छात्रों ने सफलता हासिल की। ऐसा उदाहरण शायद ही आपको किसी और प्रदेश में मिलेगा।

अदम्य जिजीविषा के प्रतीक बिहारी

जहां देश के सभी राज्यों से किसान आत्महत्या की खबरे समाचारो में आती रहती है उसी देश के एक राज्य बिहार के किसान हर साल कोसी ,गंडक बागमती के बाढ़ को झेलकर फिर से उठ खड़े होते है। बिहार में किसान आत्महत्या की कितनी खबरे आपने सुनी है ?भारत के महराष्ट्र, तेलंगाना सहित आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या के सबसे ज़्यादा मामले रिपोर्ट होते हैं।
छात्र आत्महत्या के मामलो में भी बिहार की स्थिति कई राज्यों से बेहतर है वो भी तब जब बिहार के छात्रों को उतनी समुचित सुविधाएं मुहैय्या नहीं। ये वो राज्य जहां के एक मजदुर दशरथ मांझी ने अकेले ही केवल छेनी और हथौड़े से एक पहाड़ को तोड़कर सड़क बना दिया।

मैं मानती हूँ की पिछले कुछ सालों में हुई कुछ राजनीतिक घटनाओं ने बिहार की छवि को धूमिल किया है। लालू यादव के चारा घोटाले और शिक्षा के क्षेत्र में रूबी राय और गणेश प्रकरण ने बिहार की छवि को बहुत ज्यादा क्षति पहुँचाई। पर ऐसे और भी राज्य है जहां इनसे भी बुरे प्रकरण हुए पर उन्हें मीडिया ने उतना हाई-लाइट नहीं किया।जहां अन्य सभी राज्यों के लोग अपने प्रदेश का नाम गर्व से लेते है वहीँ बिहारी शर्म महसूस करते है। बिहारी खुद इस बात का रोना रोते है की बिहार की स्थिति ठीक नहीं है। मेरा उन बिहारियों से ये सवाल है की उन्होंने खुद अपने प्रदेश के उत्थान के लिए कितना प्रयास किया। इसकी छवि सुधारने के लिए कितना प्रयास किया ? क्या आपके घर में कुछ गड़बड़ी होती है तो उसे सुधारने के लिए किसी और के पहल का इंतज़ार करते है और दुसरो से जाकर इसकी शिकायत करते है या खुद ही कदम उठाते है। मेरे इस लेख के लिखने के पीछे यही उद्देश्य है की बिहारी अपने बिहारी होने पर गर्व करे और साथ ही अपने घर अपने प्रदेश की छवि खुद सुधारने का प्रयत्न करे।
“ गर्व से कहें हम बिहारी है “
धन्यवाद !

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