पड़ताल : पर्यटन में आगे बढ़ा बिहार, पर कई काम होने बाकी
बिहार में पर्यटन स्थलों की भरमार है। धार्मिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक और प्राकृतिक प्रदत्त पर्यटन स्थलों की लंबी फेहरिस्त है। देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इन्हें विकसित किया जाना है। यहां विश्वस्तरीय सुविधाएं मुहैया कराने का प्रयास हो रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्राथमिकता में भी पर्यटन है और उनके प्रयास से पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए कई स्तरों पर कार्य हो रहे हैं, लेकिन पर्यटन को ऊंचाई पर ले जाने के लिए अब भी कई मोर्चों पर काम होना बाकी है। कई ऐसी चुनौतियां हैं जिनसे पर्यटन विभाग को पार पाना होगा।
जो काम अब तक नहीं हुए
1. पर्यटन रोड मैप नहीं बना अब तक
पर्यटन क्षेत्र में असीम संभावनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने दिसंबर 2015 में ही पर्यटन रोडमैप बनाने का निर्देश दिया था। इसके तहत महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों को चिह्नित कर उसे चरणबद्ध तरीके से पांच साल में विकसित किया जाना था। रोडमैप इस साल के मध्य तक बन जाने की संभावना थी, लेकिन अब तक यह अस्तित्व में नहीं आया है।
2. कई जगह रोपवे का निर्माण है लटका
मंदार पर्वत (बांका), रोहतासगढ़ किला, योगेश्वरी पर्वत, ब्रह्मयोनी पर्व गया, मुंडेश्वरी पर्वत कैमूर व प्रेतशिला पर्वत गया और वाणावर पर्वत जहानाबाद में रज्जू पथ (रोपवे) का निर्माण किया जाना था। इस दिशा में कवायद भी शुरू हुई लेकिन मामला अब तक लटका हुआ है। अभी राज्य में सिर्फ राजगीर में ही रज्जू पथ है। इसके अलावा मंदार पर्वत पर इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई है।
3. शक्ति और शिव सर्किट अभी फाइलों में
विभिन्न सर्किट के अलावा राज्य में शक्ति और शिव सर्किट (परिपथ) को भी विकसित किया जाना है। पर्यटन विभाग की प्राथमिकता में भी यह है, लेकिन कुछ जगहों पर हुए कार्यों को छाड़ दें तो समग्रता में इन दोनों परिपथों के विकास को लेकर विशेष पहल की जरूरत है।
यह है चुनौती
पर्यटन स्थलों तक पहुंचने को सुगम संसाधन न होना
पर्यटन स्थलों तक पहुंचने के लिए सुगम सरकारी संसाधनों का अभाव है। पटना आने वाले पर्यटकों को अगर दूसरे पर्यटनस्थलों पर जाना हो तो उन्हें निजी एजेंसियों का सहारा लेना पड़ता है। दो-तीन स्थलों को छोड़ दें तो कहीं जाने के लिए सरकारी स्तर पर सुविधा नहीं है।
पर्यटन स्थलों पर ठहरने की उत्तम व्यवस्था का अभाव
पर्यटन स्थलों पर ठहरने के लिए बेहतर व्यवस्था का अभाव है। अच्छे होटलों की जरूरत है। इस कारण पर्यटक संबंधित स्थानों से घूमकर लौट जाते हैं। वहां ठहरते नहीं हैं। हालांकि इस दिशा में पर्यटन विभाग ने कदम उठाया है। निजी क्षेत्र और स्वयं के संसाधनों से होटल, रेस्टोरेंट आदि की व्यवस्था कर रहा है।
यह रही उपलब्धि
राज्य सरकार ने श्री गुरु गोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाशपर्व, चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह व कालचक्र पूजा का भव्य आयोजन कर इतिहास रचा। बौद्ध धर्मावलंबी बोधगया के अलावा राजगीर, पावापुरी, वैशाली सहित विभिन्न स्थलों पर गए। इससे पर्यटन को नया आयाम मिला। सिख गुरु साहिबानों से जुड़े स्थलों को विकसित किया गया। अन्य धार्मिक और पर्यटन स्थल भी विकसित किए जा रहे हैं। बुद्ध सर्किट, रामायण सर्किट, जैन सर्किट, इको सर्किट के साथ चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पूरे होने पर बनाए गए गांधी सर्किट में काम हो रहा है।
पर्यटन के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। आगे भी काम जारी रहेगा। देश-विदेश में बिहार के पर्यटन क्षेत्रों की ब्रांडिंग की जा रही है।
– प्रमोद कुमार, पर्यटन मंत्री, बिहार