बिहार के विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने जिले के सभी मठ-मंदिरों की जमीन की रिपोर्ट तलब की है। वे नौ अगस्त को रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे। इसके लिए विधि मंत्रालय ने डीएम, एसडीओ, डीसीएलआर व सभी अंचलाधिकारियों को रिपोर्ट के साथ उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
गन्ना उद्योग एवं विधि विभाग ने कहा है कि जिले के धार्मिक न्यास पर्षद की सारी जमीन का ब्योरा दो बार मांगा गया है, लेकिन जिले से रिपोर्ट भेजी ही नहीं गई। अब नौ अगस्त को विभागीय मंत्री स्वयं मुजफ्फरपुर में इसकी समीक्षा करेंगे। विभाग के सचिव ने कहा है कि रिपोर्ट में जिले के धार्मिक न्यास पर्षद की पूरी संपत्ति का ब्योरा, विवादित जमीन का ब्योरा व यदि जमीन की खरीद-बिक्री की गई है, तो लेख्यधारी के ब्योरा के साथ बैठक में उपस्थित हों।
धार्मिक न्यास पर्षद की कई जमीन है विवादित
जिले में धार्मिक न्यास पर्षद की कई जमीन विवादित है। जिन मठ-मंदिरों की जमीन पर विवाद व खरीद-बिक्री का आरोप है और कई मामले अदालतों में लंबित हैं, उसमें ब्रह्मपुरा स्थित कबीरपंथी मठ, सरैयागंज स्थित रामजानकी मंदिर समिति, तुर्की स्थित मठ के अलावा कई मठ व मंदिर शामिल हैं। इनकी करोड़ों की जमीन की खरीद-बिक्री का आरोप लगता रहा है।
विधि मंत्री ने इन सभी मामलों की रिपोर्ट प्रशासन से मांगी है, जिसके बाद हड़कंप मचा है। अबतक धार्मिक न्यास पर्षद की जमीन का ब्योरा एक जगह कभी एकत्रित ही नहीं किया गया है। विधि मंत्री की मांग पर अपर समाहर्ता ने दोनों डीसीएलआर को एसडीओ के माध्यम से धार्मिक न्यास पर्षद की जमीन का ब्योरा देने के लिए कहा है।
रोक सूची में शामिल होगी न्यास की संपत्ति
विधि विभाग ने धार्मिक न्यास पर्षद की जमीन का जो ब्योरा मांगा है, उसके कई उद्देश्य हैं। एक बड़ा उद्देश्य यह है कि मठ-मंदिरों की इस जमीन को अब निबंधन विभाग की रोक सूची में डाला जाएगा। इसका फायदा होगा कि मठ-मंदिर की जमीन की खरीद-बिक्री की जैसे ही कोशिश की जाएगी, कंप्यूटर अपने आप इसका निबंधन करने से मना कर देगा।
दूसरा उद्देश्य सभी जमीन का डिजिटलाइजेशन करना है, ताकि कुल संपत्ति का ब्योरा ऑनलाइन किया जा सके। इससे धार्मिक न्यास पर्षद व सरकार को न्यास की संपत्ति का रिकॉर्ड रखने में सहूलियत होगी। तीसरा उद्देश्य है कि मठ-मंदिर की जमीन को भगवान के नाम पर ही रहने दिया जाए ताकि समिति के स्वामित्व को लेकर कोई विवाद फंसे तो न्यास की संपत्ति को सुरक्षित रखा जा सके।