काव्य सरिता/- “छात्र का दुःस्वप्न” रचना- उधव कृष्ण..👉लिंक पर क्लिक कर पढ़े..
poem on night mare of a student by a student
जरा और जर्रा-जर्रा
जरा और जर्रा-जर्रा
वो आकर कुछ कह गए,
गिला तो तुमने फिर भी किया।
सिलसिला उनकी चाहत का,
तुमने कौन सा समझ लिया?
वो क्या जरा सा बदले,
तुमने तो...
हर मर्ज़ की दवा : पिता
हर मर्ज़ की दवा : पिता
इस आधुनिक युग में हमने कुछ सीखा हो या नही पर हर दिन को एक अलग दिवस के रूप...
फादर्स डे विशेष : पिता को समर्पित कुछ कविताओं का संकलन
फादर्स डे विशेष : पिता को समर्पित कुछ कविताओं का संकलन
पिता दुनिया का ऐसा व्यक्ति हैं जो जिंदगी भर अपने परिवार के लिए मेहनत...
अंगारे
अंगारे
तु मेरी दुनिया,
तू ही मेरा जहां।
तुझे खोजता फिरे है,
बावरा मन मेरा।
आंखें खोल के जो देखूँ,
वो ख्वाब है तू।
हर लम्हा तलाशु,
वो जवाब है तू।
जिसे लिख...
ज़िन्दगी की एक शाम फिर तेरे नाम करते हैं
ज़िन्दगी की एक शाम फिर तेरे नाम करते हैं
ज़िन्दगी की एक शाम फिर तेरे नाम करते हैं
हाँ, हम तुझसे अब भी प्यार करते हैं...
तेरी...
वो यादों वाला इश्क़
वो यादों वाला इश्क़
क्या उसको भी याद होगी,
उसकी वो पहली गुस्ताखी_
जब मेरे लिए,
वो अपनों का दिल तोड़ आया था।
सच में, क्या याद होगा उससे_
मेरी...
तुझसे प्यार था, प्यार है और प्यार रहेगा…
तुझसे प्यार था, प्यार है और प्यार रहेगा...
तू चली गयी मुझे छोड़कर न जाने क्यों ?
मगर अब सोचती है तेरे सारे नखरे अब कौन...
Holi Special : होली के रंग, कविताओं के संग | पढ़िए होली की कवितायेँ
गले मुझको लगा लो ए दिलदार होली में - भारतेंदु हरीशचंद्र
गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार
होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ यार
होली में
नहीं...
मानव
मानव
मानव हूँ मैं,कृति भगवान की..
मुझे स्थिरता प्रदान करो
जैसा भी हूँ मैं,मुझे स्वीकार करो..
रंग रूप संसार के,समाहित करूँ कैसे
जितनी रिक्तियाँ थीं,भर दीं
अब और रिक्तियाँ लाऊँ...