CBI चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने का मामला SC पहुंचा
26 अक्टूबर को हो सकती है सुनवाई
नई दिल्ली: सीबीआई के दो शीर्ष अफसरों के रिश्वतखोरी विवाद में फंसने के बाद केंद्र ने बुधवार को ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को जांच एजेंसी का अंतरिम प्रमुख नियुक्त कर दिया। रिश्वतखोरी मामले की जांच जारी रहने तक सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और नंबर दो अफसर स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया है। छुट्टी पर भेजे जाने से नाराज वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर 26 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
CBI Director Alok Verma's petition accepted by the Supreme Court; likely to be heard on October 26
— ANI (@ANI) October 24, 2018
इस बीच, सीबीआई ने बुधवार को तीन दिन में दूसरी बार अपने ही मुख्यालय पर छापा मारा। सोमवार को भी यहां छापा मारा था। अस्थाना और उनकी टीम के एक डीएसपी पर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तीन करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है।
प्रशांत भूषण ने भी लगाई याचिका
वकील प्रशांत भूषण ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार गुजरात कैडर के अफसर अस्थाना को बचा रही है। दो साल की अवधि से पहले किसी भी सीबीआई चीफ को नहीं हटाया जा सकता। इसके बावजूद आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया। सरकार राफेल डील की जांच से बचना चाह रही है। वर्मा की जगह नागेश्वर राव को सीबीआई का इंटरिम चीफ बनाया है जबकि राव के खिलाफ भी कई संगीन आरोप हैं।
अस्थाना ने एफआईआर को हाईकोर्ट में दी है चुनौती
सीबीआई ने इस मामले में अपने ही स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और अस्थाना की एसआईटी के एक डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया है। अस्थाना ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। इस मामले में अदालत 29 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। तब तक अस्थाना के खिलाफ कार्रवाई करने पर रोक लगाई गई है।
- 2016 में सीबीआई में नंबर दो अफसर रहे आरके दत्ता का तबादला गृह मंत्रालय में कर अस्थाना को लाया गया था।
- दत्ता भावी निदेशक माने जा रहे थे। लेकिन गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना सीबीआई के अंतरिम चीफ बना दिए गए।
- अस्थाना की नियुक्ति को वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। इसके बाद फरवरी 2017 में आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ बनाया गया।
- सीबीआई चीफ बनने के बाद आलोक वर्मा ने अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर बनाने का विरोध कर दिया। उन्होंने कहा था कि अस्थाना पर कई आरोप हैं, वे सीबीआई में रहने लायक नहीं हैं।
- वर्मा 1984 की आईपीएस बैच के अफसर हैं। अस्थाना 1979 की बैच के आईपीएस अफसर हैं।
माेइन कुरैशी के मामले की जांच से शुरू हुआ रिश्वतखोरी विवाद
1984 आईपीएस बैच के गुजरात कैडर के अफसर अस्थाना मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे। कुरैशी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग को आरोपों में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान हैदराबाद का सतीश बाबू सना भी घेरे में आया। एजेंसी 50 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी। कई बार पूछताछ भी की गई। सना ने सीबीआई चीफ को भेजी शिकायत में कहा कि अस्थाना ने इस मामले में उसे क्लीन चिट देने के लिए 5 करोड़ रुपए मांगे थे। इनमें 3 करोड़ एडवांस दिए गए। 2 करोड़ रुपए बाद में देने थे।
बिचौलिए ने भी कहा- अस्थाना को 2 करोड़ दिए गए
सीबीआई ने पिछले हफ्ते एक बिचौलिए मनोज कुमार को गिरफ्तार किया था। मनोज कुमार ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया कि अस्थाना को मीट कारोबारी कुरैशी की तरफ से 2 करोड़ रुपए की घूस दी गई थी।
अस्थाना की टीम के डीएसपी पर सीबीआई चीफ को फंसाने का आरोप
आरोप है कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को फंसाने के लिए डीएसपी ने मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना का यह फर्जी बयान दर्ज किया था। 24 अगस्त को अस्थाना ने सीवीसी को पत्र लिखकर डायरेक्टर आलोक वर्मा पर सना से दो करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी उठाए सवाल
What are the reasons for sending CBI director on leave? Under which law did the Modi govt get the authority to initiate action against the chief of an investigating agency appointed as per the Lokpal Act ? What is Modi govt trying to hide ?
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 24, 2018