नाम बदल कर कोड वर्ड से स्मगलर्स बेच रहे हैं बिहार में शराब
अब शराब भी डिजिटल हो गयी है। सीमा पार से जिले में लायी जा रही विदेशी शराब की होम डिलीवरी के लिए ‘डिजिटल वाटर कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। पुलिस की नजरों से बचने के लिए धंधेबाज रोज नये नये कोडवर्ड बदल रहे हैं। इससे पूर्व डिस्टिल्ड वाटर व राधेश्याम जैसे कई छद्मवेशी नाम चर्चा में रहे हैं।
‘डिजिटल वाटर‘ कोड वर्ड का प्रयोग अभी हाल में ही शुरू हुआ है। झारखंड के सीमावर्ती इलाके से लगे कौआकोल में इस कोड वर्ड का जमकर प्रयोग हो रहा है। इस कोड वर्ड पर आर्डर मिलने के बाद शराब के शौकीनों को विदेशी शराब आसानी से उपलब्ध करा दी जा रही है। सीमा पार से आ रही शराब विदेशी शराब की खेप जिले में सीमा पार से आ रही है।
रजौली, कौआकोल व गोविन्दपुर थाने की सीमा झारखंड की सीमा से जुड़ी है। सीमा के कुछ ही दूर अन्दर जाने पर लोगों को आसानी से झारखंड निर्मित शराब उपलब्ध हो जाती है। लोग चोरी छुपे शराब लेकर जिले में प्रवेश कर जाते हैं। बड़े बड़े धंधेबाज भी पुलिस की नजरों से बचकर शराब के धंधे में जुड़े हैं व गाढ़ी कमाई कर शराबबंदी का उल्लंघन कर रहे हैं।
एस्कार्ट कर हो रही डिलीवरी शराब के धंधेबाज सीमा पार से शराब की खेप जिले में लाने के लिए रोज नये नये तरीके अपना रहे हैं। फिलहाल कई तरीकों पर पुलिस द्वारा पानी फेर दिये जाने के बाद धंधेबाज एस्कार्ट कर शराब के वाहनों को जिले में ला रहे हैं। आगे चल रहा वाहन शराब लेकर आ रहे वाहन के ड्राइवर को रास्ता क्लीयर होने का सिग्नल देते रहता है।
![Smuggling Liquor in Bihar | The Bihar News](https://thebiharnews.in/wp-content/uploads/2017/09/571868-446448-liquor-alcohol-300x169.jpg)
सिग्नल मिलने के बाद ही गाड़ी आगे बढ़ती है। दोनों वाहनों के बीच कम से कम दो किलोमीटर का फासला होता है। खतरा होने पर शराब लदी वाहन को रोक दिया जाता है। गाढ़ा मुनाफा कर रहा आकर्षित शराब के इस काले धंधे में बड़ी संख्या में जिले के लोग जुटे हैं। इसमें बहुतायत संख्या युवाओं की है। इस धंधे में गाढ़ा मुनाफा युवा वर्ग को बड़ी तेजी से आकर्षित कर रहा है।
धंधेबाजों के मुताबिक शराब के इस धंधे में ढाई गुणा से लेकर तीन गुणा तक की कमाई होती है। 4 सौ से 5 सौ रुपये रेट वाली शराब की कीमत यहां 12 से 15 सौ रुपये तक वसूली जाती है। यही कारण है कि जेल से छूटने के बाद भी धंधेबाज दोबारा इस धंधे में जुट जाते हैं। जंगली रास्ते व रात का उपयोग जिले में सीमा पार से शराब लाने के लिए धंधेबाज सीमा से लगे जंगली व पहाड़ी रास्तों का भी पुलिस से बचने के लिए उपयोग कर रहे हैं।
कौआकोल, रोह, रूपौ, गोविन्दपुर व रजौली में अक्सर इन रास्तों का उपयोग किया जा रहा है। बड़ी मात्रा में शराब लाने के लिए धंधेबाज अक्सर रात के समय का उपयोग करते हैं। देर रात पुलिस से पकड़े जाने का खतरा कम होता है। वर्जन जिले में शराब का प्रवेश रोकने के लिए नई रणनीति बनायी जा रही है। इसके लिए पुलिस से समन्वय बनाकर कार्रवाई की जायेगी। चेकपोस्ट पर पहरा सख्त किया जायेगा। सूचना तंत्र मजबूत किया जायेगा व छापेमारी तेज की जायेगी। – प्रमोदित नारायण सिंह, उत्पाद अधीक्षक, नवादा।