विज्ञान का चमत्कार: मरे हुए दिल को जिंदा कर डॉक्टरों ने मरीज को लगाया

डॉक्टरों ने एक गंभीर से बीमार हार्ट पैशेट की जान मरे हुए दिल के जरिए बचाने में सफलता पाई है। डॉक्टरों ने एक मरे हुए इंसान के दिल को बॉक्स तकनीक के जरिए जिंदा किया और फिर उसे मरीज के सीने में ट्रांसप्लांट किया।

इसके लिए डॉक्टरों ने एक पॉयनियरिंग पीस का सहारा लिया जिसे बॉक्स तकनीक के जरिए किसी भी दिल को 8 घंटे तक जिंदा रखा जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, पॉयनियरिंग पीस शरीर के किसी अंग में आठ घंटे तक कृतिम धड़कन देने का काम करता है।

अस्पताल के सूत्रों ने मीडिया को जानकारी दी कि दिल के मरीज एंडरसन की जान डॉक्टरों ने इसी तकनीक से बचाई है।

स्विंटन के रहने वाले 58 साल के दिल के मरीज एंडरसन को डॉक्टरों ने अर्जेंट ट्रांसप्लांट की लिस्ट में रखा था। डॉक्टरों ने पिछले दिनों एंडरसन की कार्डियोमायोपैथी की और सघन चिकित्सा के जरिए उसके दिल को ट्रांसप्लांट किया। एंडरसन को हृदय की मांसपेशियों की समस्या थी।

एंडरसन की खुशी का ठिकाना न रहा
ऑपरेशन के बाद अपना अनुभव साझा करते हुए एंथोनी एंडरसन ने कहा, ‘जब मुझे इस बारे में फोन आया तब मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। लेकिन इस बात का दुख है कि मेरी मदद के लिए किसी को मरना पड़ा! जिसने मुझे अपना दिल दान किया मैं उसका सदैव आभारी रहूंगा।’

जिस अस्पताल ने एंडरसन का इलाज किया है वह दुनिया के चार चुनिंदा अस्पतालों में से एक है। अभी तक इस तकनीक के जरिए कुछ ही मरीजों का इलाज किया गया है। लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि इस तकनीक से और ज्यादा मरीजों की जिंदगी बचाई जा सकती है। इसके लिए दिल का दान करने की इच्छा रखने वालों लोगों को सपोर्ट किया जाना चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इलाज यानी हार्ट ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे 100 लोकों में से 15 को अपनी जान गंवानी पड़ती है। इसका एक बड़ा कारण डोनर्स की कमी है। साथ ही मृतक की मौत के तुरंत बाद ही ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि इस बॉक्स तकनीक से ज्याद से ज्यादा मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

ऐसे काम करती है बॉक्स तकनीक-
हृदय ट्रांसप्लांट की इस क्रातिकारी तकनीक को कुछ साल पहले ही खोजा गया है, लेकिन अभी भी इसका इस्तेमाल बहुत कम होता है। एक तकनीक जिसे ट्रांसमीडिया ऑर्गन केयर सिस्टम नाम से जाना जाता है जिसका इस्तेमाल डॉक्टर धड़कन बंद कर चुके दिल को फिर से चालू करने के लिए करते हैं। यह तकनीक खून को पूरी दिल में पंप करती है और दिल की क्रियाओं को फिर से चालू कर देती है। एक बार जब मरीज का दिल काम करना शुरू कर देता है तो डॉक्टर दाता के दिल को मरीज के सीने में शीघ्रता के साथ ट्रांसप्लांट कर देते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि एक अलग तरह की ट्रांसप्लाट वाली तकनीक है। इसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब दाता ब्रेन डेड हो या उसके हृदय की धड़कन बंद हो जाए। पहले दाता के शरीर से दिल को निकाला जाजा है और फिर तकनीक के जरिए उसकी धड़कन वापस लाकर उसे मरीज में प्रत्यारोपित किया जाता है।

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