डज इंडिया वांट्स सर्जिकल स्ट्राइक पार्ट 2? पुलमावा आतंकी हमला!

बारामुला का उड़ी हमला जो 18 सितंबर 2016 को जैश-ए-मोहम्मद के द्वारा अंजाम दिया गया था उसे अब तक का सबसे भयावह हमला माना जाता रहा इसमे करीब 19 भारतीय जवान शहीद हुए थे, और चार आतंकी मारे गए थे जो ग्रेनेड लांचर, ऐ.के 47, हैंड ग्रेनेड जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस थे। हालांकि भारतीय एजेंसियों को इसमें लशकर-ए-तैयबा के हाथ होने का भी शक था।
पर गुरुवार 14 फरवरी 2019 को पुलमावा में अवंतीपुरा के गोरीपुरा इलाके में हुए आतंकी हमले ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ डाले। इस हमले में 350 किलों आई.ई.डी का इस्तेमाल किया गया, शहीदों की संख्या उड़ी हमले से दोगुने होने की संभावना जताई जा रही है। ये हमला एक स्कोर्पियो गाड़ी के द्वारा किये जाने की बात कही गई है, जिससे इस हमले को फिदाइन हमले की श्रेणी में रखा जा सकता है, खैर ये अभी जाँच का विषय है। लेकिन जाँच का विषय तो उड़ी हमला भी था जिसके ठीक बाद ही होने वाले शार्क सम्मेलन में भारत सहित अन्य देशों ने भी इस सम्मेलन का बहिष्कार कर दिया था, और पाकिस्तान के दोहरे रवैये को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सामूहिक रूप से बहिष्कृत किया गया था।
इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने इमरान खान को बधाई दी थी और पाकिस्तान और भारत के अच्छे संबंधो की कामना की थी।
पर घाटी में व्याप्त तनाव कम होने का नाम नही ले रहे है, चुकी अभी लोकसभा इलेक्शन के साथ साथ जम्मू काश्मीर के विधान सभा चुनाव भी सर पर है, इसलिए जाहिर है इस बात से क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी जम्मू काश्मीर पी.डी.पी व भाजपा राष्ट्रपति शासन का हवाला दे कर बचने की कोशिश करें। ये भी हो सकता है स्थानीय नेताओं का ये बयान जारी हो की इस मसले पर सभी पार्टियों को मिल जुल कर बातें करनी चाहिए और शांति की पहल करनी चाहिए। पर वैसे नेता जो ऐसे हमलों की खुलेआम निंदा करने से बचते है, आतंकवाद का विरोध नही करते बल्कि मौन रूप से उनके काम का समर्थन करते है क्या उनसे बात करनी चाहिए। हमें समझना चाहिए की ऐसे हालात में करतारपुर पाकिस्तान कॉरिडोर जो गुरदासपुर पंजाब से 3 किलोमीटर की दूरी पर है और जहाँ सिखों के पहले गुरु गुरुनानक ने 1539 में अंतिम साँस ली थी उसके खुलने और श्रद्धालुओं के ऐतेहासिक करतारपुर दरबार साहिब  पाकिस्तान में जाने में अब अवरोध बढ़ गया है। फ़िलहाल तो इतना ही कहा जा सकता है की गुनहगारों को सजा मिलनी ही चाहिए चाहे फिर से सर्जिकल स्ट्राइक ही क्यों न करना पड़ जाए, या इस बार थोड़ा अलग तरह से बदला लिया जा सकता है, चुकी 18 सितंबर 2016 को सुबह करीब 5 बजे आतंकीयों द्वारा अचानक बिहार की छठवीं और डोगरा की दसवीं रेजिमेंट पर हमला किया गया था, जो छापेमार युद्ब नीति का ही एक प्रकार था, इसका जवाब भारतीय सेना के चौथी पारा स्पेशल फोर्सेस द्वारा उसी अंदाज में सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में दिया गया था, इसी स्ट्राइक पर भारत मे एक फ़िल्म उड़ी द सर्जिकल स्ट्राइक भी बनी थी, जिसे भारतीयों द्वारा खूब सराहा गया। अब देखना ये है की इस बार अपने जवानों का बदला अंतरराष्ट्रीय मंच के साथ साथ व्यक्तिगत रूप से भारत कैसे और कब लेता है। हालांकि हमें ये भी समझना चाहिए की पाकिस्तान का हिमायती चीन है और ये दोनों देश परमाणु शक्ति से सम्पन्न हैं। वैसे तो भारत भी परमाणु शक्ति से लैस है पर युद्ध की स्थिति कितनी भयंकर हो सकती है ये किसी से छुपी नही है।
उधव कृष्ण/ पटना सिटी
एम.जे.एम.सी/अंतिम वर्ष
नालंदा खुला विश्विद्यालय
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Udhav has completed his Bachelor's and Master's degree in Journalism and Mass Communication from Nalanda Open University in Patna. He writes about all social issues and as he says in his own words, "HE IS A JOURNALIST BY EDUCATION"