नोटबंदी की पहली वर्षगांठ फिर भी जारी है नगद लेन-देन
नयी दिल्ली : देश में नोटबंदी के एक साल पूरे हो गये हैं। इस एक साल के दौरान सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये के एप आैर परियोजनाआें की शुरुआत की, लेकिन देश के खुदरा बाजारों में अब भी नकदी का ही बोलबाला है। इस क्षेत्र के कारोबारी अब भी नकदी में ही लेन-देन कर रहे हैं।
हालांकि, अभी हाल ही में डिजिटाइजेशन पर किये गये एक अध्ययन की रिपोर्ट यह कहा गया है कि नोटबंदी के एक साल बाद अब देश के शहरी आैर ग्रामीण क्षेत्रों के खुदरा बाजारों में डिजिटाइजेशन की संभावना करीब 63 फीसदी संभावना बढ़ी है, मगर अभी तक इस क्षेत्र के कारोबारियों ने डिजिटाइजेशन को पूरी तरह से लेन-देन में इस्तेमाल करना शुरू नहीं किया है।
दो चरणों में हुआ था काले धन पर वार
सेंटर फाॅर डिजिटल फाइनेंशियल इंक्लूजन (सीडीएफआई) के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आयी है। यह अध्ययन दो चरणों में की गयी है। पहला चरण नोटबंदी के पहले और दूसरा चरण नोटबंदी के बाद हुआ है। इसमें पाया गया कि खुदरा कारोबारियों के बीच डिजिटल लेन-देन चलन नोटबंदी के बाद बढ़ा है। सीडीएफआई के कार्यकारी निदेशक कृष्णन धर्मराजन और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (बेंगलुर) के डिजिटल इनोवेशन लैब के सूत्रधार शशांक गर्ग ने यह अध्ययन किया है।
धर्मराजन ने कहा कि हमने दो साल पहले इस अध्ययन की शुरुआत की थी। हम पता लगा रहे थे कि किराना दूकान किस तरह से नकद-मुक्त कारोबार की ओर जा रहे हैं। हमारे अध्ययन का उद्देश्य यह पता लगाना था कि गरीब लोग तकनीकी बदलाव में कैसे महत्वपूर्ण हो पाते हैं। उन्होंने कहा कि जब हमारा अध्ययन चल रहा था, तभी नोटबंदी की घोषणा हुई।
इसके बाद हमें अध्ययन के तरीके में बदलाव करना पड़ा। इससे हमें व्यावहारिक बदलाव पता करने में मदद मिली। हमने पाया कि अब 63 फीसदी खुदरा कारोबारी डिजिटल होने को इच्छुक हैं। नोटबंदी से पहले महज 31 फीसदी कारोबारी ऐसा चाह रहे थे।
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