आज देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है। आज से गणेशोत्सव शुरू होगा और 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन किया जाएगा। आज ब्रह्म और रवियोग में गणपति स्थापना होगी। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। गणेश चतुर्थी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 17 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त से शुरू होगा और रात 10 बजे तक पूजन का शुभ समय रहेगा। इस साल गणेश चतुर्थी पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। गणेश चतुर्थी के दिन 11 बजकर 09 मिनट से 10 बजकर 59 मिनट तक पाताल निवासिनी भद्रा रहेगी। शास्त्रों के अनुसार, पाताल निवासिनी भद्रा का योग शुभ माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की कृपा से सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त : Ganesh chaturthi Shubh Muhurat
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:31 से सुबह 05:17
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:53 से दोपहर 12:43
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:23 से दोपहर 03:12
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:20 से शाम 06:44
अमृत काल- 06:59 ए एम से 08:28 ए एम
रवि योग- सुबह 06:04 से दोपहर 12:58
पूजा- विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
इस दिन गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना की जाती है।
गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें।
गणपति की प्रतिमा की स्थापना करें।
संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
गणेश पूजा में सबसे पहले गणेश जी का प्रतीक चिह्न स्वस्तिक बनाया जाता है। गणेशजी प्रथम पूज्य देव हैं, इस कारण पूजन की शुरुआत में स्वस्तिक बनाने की परंपरा है।
भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें।
भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं।
भगवान गणेश का ध्यान करें।
गणेश जी को भोग भी लगाएं। आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।
भगवान गणेश की आरती जरूर करें।
पूजा सामग्री लिस्ट
भगवान गणेश की प्रतिमा
लाल कपड़ा
दूर्वा
जनेऊ
कलश
नारियल
पंचामृत
पंचमेवा
गंगाजल
रोली
मौली लाल
पूजा के समय ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें। प्रसाद के रूप में मोदक और लड्डू वितरित करें।
गणपति बप्पा को लगाएं भोग-
गणेश जी को पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था।
गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।