- पाचन समस्या को नज़रअंदाज़ करना पड़ जाता है भारी
- खाने के अलावा हमारी बुरी आदतों से भी बिगड़ता है पाचन
Dainik Bhaskar
Feb 12, 2020, 05:21 PM IST
लाइफस्टाइल डेस्क. आयुर्वेद में पाचन तंत्र में स्थित अग्नि को समस्त चयापचय का प्रमुख कारक माना गया है। यदि अग्नि ठीक से काम नहीं करेगी तो पाचन तंत्र में समस्या पैदा होगी। इससे शरीर कब्ज़ समेत पेट और आंतों की कई समस्याओं से ग्रस्त हो सकता है जिसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। लेकिन आधुनिक समय में ख़राब खान-पान और दिनचर्या के कारण बड़ी संख्या में लोग कब्ज़ से ग्रस्त हैं। शुरुआती दौर में लोग इस समस्या के लक्षणों से इसकी पहचान नहीं कर पाते या फिर उसे अनदेखा करते हैं। बाद में यही समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है। इसलिए ये बेहद ज़रूरी है कि इसके शुरुआती लक्षणों को पहचान कर तुरंत उपचार किया जाए।
लक्षणों से पहचानें
जब कड़ा मल या मलत्याग करने में कठिनाई होती है, तो ये कब्ज़ कहलाता है। यह भी हो सकता है कि आपको पेट खाली करने के लिए (मलत्याग के लिए) ज़ोर लगाना पड़े। शौचालय जाने के बावजूद मन हल्का न लगे और ऐसा लगे कि पेट पूरी तरह से साफ़ नहीं हुआ है। बार-बार पेट दर्द, ऐठन, गैस बनना, डकार आना, खाने में अरुचि, जीभ में छाले व पीलापन होना, आलस, सिरदर्द व उलटी होना भी कब्ज़ के ही लक्षण हैं। यदि हफ्ते में तीन दिन से अधिक मलत्याग नहीं कर पाते या एक दिन में तीन-चार बार पेट खाली करने जाते हैं तो ये भी कब्ज़ के लक्षण हैं।
आदते हैं इसकी वजह
ख़राब खान-पान और ग़लत दिनचर्या कब्ज़ का मुख्य कारण है। फास्टफूड, भोजन में अपर्याप्त मात्रा में रेशों (फाइबर) का सेवन, कम पानी पीने, व्यायाम की कमी, लंबे समय तक एंटीबायोटिक व गैस की दवाइयों के सेवन और समय पर मलत्याग करने न जाना कब्ज़ की समस्या के प्रमुख कारण हैं। महिलाओं में प्रसव के दौरान भी पेट की आतंरिक समस्याओं की वजह से यह रोग हो सकता है। दूध की चाय, कॉफी, तंबाकू या सिगरेट के लगातार सेवन से कब्ज़ की समस्या पैदा हो जाती है। पाचन ठीक न होने के बावजूद पेट भरकर खाना खाने और लगातार आलस की मुद्रा में बैठे रहने से भी कब्ज़ की समस्या पैदा हो सकती है। समय पर भोजन न करने से भी यह समस्या हो जाती है। कुछ लोग शौचालय में अखबार लेकर देर तक ग़लत तरीक़े से बैठते हैं जो इस समस्या को एक तरह से बुलावा देना है।
मुश्किले बढ़ सकती हैं
यदि सही समय पर उपचार न किया जाए तो आगे चलकर यह शरीर के त्रिदोषों (वात, पित्त और कफ) को असंतुलित करता है। बवासीर, फिशर आदि का कारण भी बनता है। शुरुआती दौर में इसका इलाज आहार-विहार में परिवर्तन करके ही आसानी से किया जा सकता है। लोगों में भ्रांति है कि कच्चे फल-सब्जि़यां खाने से कब्ज़ की समस्या ठीक होती है। बल्कि इससे पेट में वायु बनती है।