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इंतजार और नहीं !!  : प्रेम कथा

thebiharnews_in_lovestory_intejaar_aur_nahiज्योत्सना की मौत की खबर 10-12 दिन पहले आई तब मैं शहर से बाहर था पता चला दिल के दौरे ने उसकी जान ले ली सच कहा जाए तो उसे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। जितनी नफरत, ईर्ष्या और घमंड  उसने दिल में रखा था उसे दिल की बीमारी तो होनी ही थी। दुख भी उतना नहीं हुआ जितना अपनी बहन की मौत पर एक भाई को होना चाहिए। वह कुछ ऐसी थी कि लोग उससे खौफ ज्यादा खाते थे प्यार कम ही करते थे। इसी घमंड के कारण उसने अपना घर नहीं बसाया।

इस खबर ने मुझेको पुराने दिनों में धकेल दिया तब मैं लगभग 13 -14 वर्ष का था और ज्योत्स्ना की उम्र लगभग 16-17 थी। पापा का बहुत बड़ा बिज़नेस था। खूबसूरत तो वो थी ही धन दौलत ने करेले पर पर नीम की तरह काम किया था। वह बहुत घमंडी हो गई थी। जिद्दी इतनी की अपनी जिद पूरी करने के लिए किसी भी हद तक चली जाती। यहां तक कि कभी कभी खुद को भी घायल कर लेती यही कारण था कि मम्मी पापा भी उसकी सब बात मानते।

उन्हीं दिनों पापा के एक दोस्त और उनकी पत्नी की एक्सीडेंट में मौत हो गई। पापा के यह दोस्त बहुत गरीब थे पर कभी पापा के बुरे दिनों में उन्होंने पापा की बहुत मदद की थी इसलिए उनकी मौत के बाद वह उनकी इकलौती बेटी शुभ्रा को घर ले आएं। 12-13 साल की शुभ्रा एक बहुत ही समझदार और सभ्य लड़की थी।

शुभ्रा आने के बाद तो जैसे घर का माहौल ही बदल गया।जैसी कि मुझे उम्मीद थी ज्योत्सना ने उसे बिल्कुल पसंद नहीं किया कारण स्पष्ट था उसकी गरीबी।  उलटे मुझे उसका आना  बहुत अच्छा लगा। दो कारण थे, एक तो मैं ज्योत्सना के साथ से तंग आ गया था। मम्मी पापा तो काम पर बाहर चले जाते ,पूरे समय ज्योत्स्ना एक बड़ी बहन नहीं तानाशाह बनी रहती।  मेरे साथ खेलने और  मौज मस्ती करने के बजाए मुझ पर हुक्म चलाते रहती। दूसरा कारण था शुभ्रा हमउम्र थी और अच्छे स्वभाव की थी  इसलिए मुझे एक अच्छा दोस्त मिल गया था।

ज्योत्सना पूरे दिन शुभ्रा को भी टोकते रोकते रहती। उसे मेरा और शुभ्रा  का साथ बिल्कुल पसंद नहीं था। उसे इस बात से बड़ी कोफ्त होती कि शुभ्रा का साथ मिलने से मैं उसे कभी कभी जवाब देने लगा था। शुभ्रा के खिलाफ मम्मी पापा के कान भरने से भी वह बाज नहीं आती।

लड़कपन से हम लोगों ने जवानी में कदम रखा और मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बाहर चला गया शुभ्रा स्कॉलरशिप लेकर MBA की पढ़ाई के लिए बाहर चली गई। ज्योत्सना ने पापा का बिजनेस ज्वाइन कर लिया। एक दूसरे से दूर होने के बाद मुझे और शुभ्रा को प्यार का एहसास हुआ। पहली बार मुझे लगा शुभ्रा मेरी जरूरत है। उसे भी शायद ऐसा एहसास हुआ हो। हम दोनों फोन और मेल से लगातार टच में रहे। मैंने बातों ही बातों में शुभ्रा का मन तौल लिया इसलिए पढ़ाई खत्म होने के बाद घर आने पर मैंने शुभ्रा से अपनी शादी की बात मम्मी पापा के सामने रखी। उन्हें शायद कोई खास फर्क नहीं पड़ता पर ज्योत्सना ने घर में कोहराम खड़ा कर दिया। शुभ्रा के खिलाफ अंट शंट बोलने लगी। उसने मम्मी पापा को भड़काने के लिए कहना शुरु कर दिया कि शुभ्रा मुझसे शादी सिर्फ मेरे पैसों के लिए करना चाहती है। पापा सारी बात तो समझते थे इसलिए चुप रहे। पर मम्मी ने जब मुझे समझाने की कोशिश की तो मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उनसे कहा कि अगर आप लोगों को ऐसा लगता है तो मैं अभी ये घर और आपकी संपत्ति छोड़ देता हूं आप लोग ने इतना नहीं पढ़ाई है कि दो वक्त की रोटी जुटा सकूं और आप लोगों को शुभ्रा को लेकर जो शक है वह भी दूर हो जाएगा।

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Susmita is a homemaker as well as a writer. She loves writing whatever comes in her mind either its about home affair or about social or political affairs. She believe sharing your opinion is a great power of human being which can make social changes and bring people together. She believe enjoying every sip of life.