bhabha-atomic-research-centre

कानपुर आईआईटी में देश का पहला परमाणु सुरक्षा शोध केंद्र बनेगा

वैश्विक स्तर पर परमाणु खतरों से बचाने के प्रयास तेज हो गए हैं। परमाणु ऊर्जा पर तो तेजी से काम हुआ लेकिन आपात स्थिति में परमाणु खतरों निपटने के उपाय नहीं खोजे गए। रेडियोएक्टिव तरंगों की तबाही से बचाने के लिए आईआईटी कानपुर ने भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) के साथ मिलकर काम शुरू कर दिया है। आईआईटी में परमाणु खतरों से बचाने के उपाय के लिए शोध केंद्र का भवन तैयार हो गया है। प्रस्तावित केंद्र जून 2018 से काम करने लगेगा। यह देश का पहला ऐसा केंद्र होगा जहां-जहां परमाणु दुर्घटना को रोकने और उससे होने वाले खतरे को कम करने पर शोध होगा।
आईआईटी, बीएआरसी के विशेषज्ञ और शोध छात्रों ने काम भी शुरू कर दिया है। बीएआरसी के मुख्य कैलोबेटर डॉ. बीके सप्रा ने बताया कि केंद्र में शोध के लिए आवश्यक उपकरण लगा दिए गए हैं। डॉ. सप्रा के मुताबिक परमाणु ऊर्जा का दायरा बढ़ रहा है तो रिएक्टर की सुरक्षा और संभावित खतरों से निपटने की तैयारी जरूरी है। परियोजना के मुख्य अनुसंधानकर्ता व आईआईटी के प्रो. एसएन त्रिपाठी ने बताया कि इस शोध का नाम नेशनल एरोसोल फैकल्टी रखा गया है। इसमें बोर्ड ऑफ न्यूक्लियर साइंस रिसर्च के विशेषज्ञ भी कार्य करेंगे।
रेडियोएक्टिव किरणों को बाहर निकलने से रोकेंगे
डॉ. सप्रा ने बताया कि परमाणु रिएक्टर दुर्घटना में सबसे बड़ा खतरा निकलने वाली रेडियोएक्टिव किरणों से होता है। ये किरणें काफी दूर और लंबे समय तक वातावरण, मानव जीवन समेत सभी पशु-पक्षी को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इस बात पर शोध किया जाएगा कि यदि कभी आपात स्थिति बनी तो रिएक्टर से ही रेडियोएक्टिव किरणें न निकलने दी जाएं। इसकी व्यवस्था डिजाइन के समय ही रिएक्टर में करनी होगी।
सरकारों की देखरेख में चल रहे केंद्र
आईआईटी में देश का पहला परमाणु सुरक्षा शोध केंद्र तैयार हो गया है। एशिया में ऐसा सुरक्षा केंद्र दक्षिणी कोरिया, जापान और चीन में काम कर रहे हैं। ये सभी केंद्र सरकारों की देखरेख में चल रहे हैं। आईआईटी में बनने वाला केंद्र शैक्षिक संस्थान में पहला होगा।

 

ये भी पढ़े: तोहफाः आज पीएम मोदी हैदराबाद में मेट्रो ट्रेन का उद्घाटन करेंगे, ये होगा किराया
Facebook Comments