किसी की मासूमियत से भीग सा गया……
आज की बरसात में सिर्फ मेरा जिस्म ही नहीं बल्कि दिल भी किसी की मासूमियत से भीग सा गया…
मैं देखता रहा उसे और वक्त कहीं थम सा गया,
वो झूम रही थी बरसात में और मैं उसे देखकर बस वहीं जम सा गया
आज की बरसात में सिर्फ मेरा जिस्म ही नहीं बल्कि दिल भी किसी की मासूमियत से भीग सा गया…
वो नाचती वो झूमती वो मुस्कुराती रही बारिश में,
मैं देखता बस देखता और देखता ही रह गया…
कहने को तो अजनबी थे हमदोनों
मगर उसे देखकर ये दिल मचल सा गया
आज की बारिश में सिर्फ मेरा जिस्म ही नहीं बल्कि दिल भी किसी की मासूमियत से भीग सा गया…
देखते ही देखते बरसात थम गई और वो भी बादलों की तरह मेरी आँखों से ओझल हो गई,
हाँ! मगर छोर गई कुछ सतरंगी यादें जो मेरे ख्यालों के आसमान के इन्द्रधनुष कहलाएंगे
अब बस ये सवाल है मेरे मन में “क्या हम कभी दुबारा वापस मिल पाएँगे”
हाँ, कुछ ऐसी थी सावन की आखिरी बरसात मेरे लिए…
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