जीवटता की मिसाल, लेकिन जिंदगी की जंग हार गई तेजाब पीड़िता मेहरूनिशां
जहानाबाद की तेजाब पीड़िता विधवा मेहरूनिशां ने आखिरकार दम तोड़ दिया। रविवार अपराह्न साढ़े तीन बजे पीएमसीएच के बर्न वार्ड में भर्ती पीड़िता जिन्दगी की जंग हार गई। पीड़िता पिछले एक महीने से पीएमसीएच में भर्ती थी। उसकी आंखों की रोशनी जा चुकी थी। मेहरूनिशां की मां ने बताया कि चार दिनों से बेटी की हालत खराब थी। आरोप लगाया कि न तो कोई सीनियर डॉक्टर देखने आए और न कहीं दूसरी जगह इलाज के लिए रेफर किया। अगर डॉक्टर समय रहते सही इलाज करते तो जान बच जाती। उसके तीन बच्चे अनाथ हो गए। पीड़िता के शरीर का 70 प्रतिशत हिस्सा जल चुका था। वह खाना भी नहीं खा पा रही थी। 17 सितंबर को उसे पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था।
जीवटता की मिसाल थी मेहरूनिशां:
उसकी आंखें तेजाब से जल गईं थीं। फिर भी इन आंखों में आंसू थे। उसमें अपने बच्चे शबनम परवीन, शमां परवीन व तारीख को इंसाफ दिलाने की हिम्मत बरकरार थी। वह कहती थी बस भगवान उसे जिंदा रखे। पति की मौत के बाद तीन बच्चों का भरण-पोषण खुद कर रही थी। माता-पिता इतने गरीब थे कि सहायता भी नहीं कर सकते थे। दूसरे घरों में चौका-बर्तन कर बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ा रही थी। एक अदद कमरे के लिए अपने ही दुश्मन बन गए। बच्चों को छत दिलाने को 6 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। महिला की हिम्मत को देख एक वकील ने मुफ्त में केस लड़ा। 18 जुलाई को केस जीत गई और कोर्ट ने घर बंटवारा करने का आदेश दिया।
16 सितंबर को हुआ हमला:
भैंसुर और उसके बेटों ने 16 सितंबर की रात मेहरूनिशां को तेजाब से नहला दिया। वह बुरी तरह जल गई। नगर थाने में पांच लोगों के विरूद्ध एफआईआर हुई थी। पुलिस ने दो आरोपितों को गिरफ्तार किया था। भैंसुर का बेटा और तेजाब फेंकने में मदद करने वाली दो महिलाएं अब तक फरार हैं।
इधर राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू ने बताया कि तेजाब पीड़िता मामले में संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। सोमवार को इस मामले में राज्यपाल से मुलाकात करूंगी।
डॉक्टर ने दी सफाईः
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. विद्यापति चौधरी का कहना है कि महिला का चेहरा, सिर, गर्दन और सीना तेजाब से बुरी तरह झुलस चुका था। अधिक जलने के कारण उसकी हालत गंभीर थी। जहां तक उसे रेफर करने की बात है तो पीएमसीएच में उसका उपचार बेहतर किया जा रहा था लेकिन अधिक बर्न होने के कारण उसकी मौत हो गई।
सिर से उठा सायाः
मासूमों के सिर से पहले अब्बा मो. ताहिर का साया उठा। रविवार को अम्मी मेहरूनिशां के आंचल का छांव भी छिन गया। तीनों बच्चों कहां रहेंगे, उनकी परवरिश कौन करेगा यह सवाल खड़ा हो गया है। मेहरूनिशां की मौत की खबर जैसे ही उसके मोहल्ले पचमहला पहुंची, मातमी सन्नाटा पसर गया। महिलाएं छाती पीटने लगीं। फिलहाल तीनों बच्चे ननिहाल में रह रहे हैं। पांच साल पहले मो. ताहिर की मौत के बाद विधवा दूसरे घरों में चौका-बर्तन करके बच्चों का पालन-पोषण करती थी। रविवार को उसके घर पर ताला लटक रहा था। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि पति की मौत के बाद से ही उसके दुख के दिन शुरू हो गए थे।