वो यादों वाला इश्क़
क्या उसको भी याद होगी,
उसकी वो पहली गुस्ताखी_
जब मेरे लिए,
वो अपनों का दिल तोड़ आया था।
सच में, क्या याद होगा उससे_
मेरी मुस्कान के लिए।
जब वो पहली दफा_
अपना चलता इम्तिहान
छोड़ आया था।
पूछना चाहती हूं उससे,
क्या याद है तुम्हें?
तुम्हारा वो गुस्सा।
जब मेरा तुम्हारे लिए लिखा,
वो खत, तुम्हारा यार
कहीं छोड़ आया था।
तुम्हें याद है,
मैं कैसे ख़ुशी के अश्कों में
बह जाया करती थी।
जब स्कूल की चेतावनी,
वाली घंटी पर अचानक-
तुम आ जाया करते थे।
शायद तुम्हें याद हो –
मैं कैसे घंटों इंतजार कर तुम्हारा।
तुम्हारे पूछने पर,
ज्यादा इंतजार तो नहीं कराया?
मैं इतरा कर,
झूठ बोल जाती थी।
अच्छा, तो तुम भी_
अभी ही आए हो।
वो तो पक्का याद होगा,
कैसे तुम
मेरा किसी और
लड़के से बात करने पर।
जला करते थे,
ऊपर से फर्क ना पड़ने के,
नखरे किया करते थे।
पूछना चाहती हूं,
कि क्या तुम्हें याद है?
गणित कि कक्षा में-
हम पीछे बैठ!
कैसे, अपने मोहब्बत के,
आंकड़े निकाला करते थे।
वो याद है तुम्हें,
जब तुम मेरे भ्रम में।
शालिनी समझ,
किसी और को-
‘तुम मेरी दुनिया हो’ बोल आए थे।
वो तो पक्का याद होगा,
जब तुम
जान बूझकर भीड़ में,
मुझसे टकराते थे।
कभी निगाहें, झुका के,
तो कभी, नजरें चुरा के,
मुझे देख जाते थे ।
क्या तुम्हे याद हैं,
बीमार होने का, बहाना कर,
घरवालों के साथ _
मुझसे, दूर होने के डर से ,
घूमने जाने से मना करते थे।
मुझे एक दफा चोट लगे_
तो कई दफा,
सलामती की दुआ करते थे।
पर शायद तुम्हें याद नहीं
तभी तो,
जब मैं तुम्हारे वजह से,
तुमसे दूर हो रही थी_
तुमने खुद को ना रोका।
सच में याद नहीं था
तभी तो,
जब तुम्हारा यार
मेरे मौत का तार तुम तक ले गया
तुम मेरे जनाजे पर भी,
लौट आओ ,नहीं कहने आए
मरने के बाद भी
हर रात, मै आपकी याद में मरती हूं।
शायद आपको याद हो,
इश्क की वो रात _
14 फरवरी को।
जब तकिए से सड़क,
बिस्तर से गिरे थे आप –
एक साए ने,
अपने बाहों में आपको बटोरा था!
उसके अश्क
आपके कोमल गालों पे गिरे थे।
पर शायद, आपको सच में याद नहीं
मुझे भरोसा है
मेरे अश्कों ने
बखूबी, आपको नींद से जगा दिया होता।
शायद आप सच में हमें भुला गए।
शायद, कमबख्त अब आप किसी और के ही यादों में हैं।
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