मुझे उड़ने दो !!

thebiharnews-in-mujhe-udne-doउसका नाम कजरी था। वो उड़ती फिरती थी तितलियों की तरह।आम के बागों से लेकर छोटे से पोखर तक दौड़ती फिरती थी।स्कूल से आने के बाद उसका बस यही काम था। माँ नीला की तो वह लाडली थी इसलिए उस की शैतानियों पर भी वह हँस देती। दादी को उस की धमाचौकड़ी जरा भी अच्छी नहीं लगती हमेशा टोकती-रोकती रहती थी।  एक दिन दादी ने फरमान सुना दिया अब कजरी 12 की होने को आई। उसकी शादी करा उसकी विदाई कर। जितनी जल्दी अपने घर जाएगी अच्छे से रच-बस जाएगी।
कजरी ने सुना “अपने घर” तो क्या यह उसका अपना घर नहीं है। मां की तरफ देखा तो उसके भी चेहरे का रंग बदल गया था। पिता माधव भी हाथ मुंह धोते धोते रुक गए और बोले “अभी तो छोटी है मां” दादी ने आंखें तरेर कर कहा” छोटी है? पूरे 12 की होने को आई, इससे भी छोटी थी लीला जब मैं उसे इस घर में लाई थी देख कितने अच्छे से घर को संभाल लिया है। पढ़ा-लिखाकर बेटी को डॉक्टर बनाना है? समाज के नियम कानूनों की अनदेखी करेगा क्या ?”

माधव वैसे भी घर का तनाव कम करने के लिए अपनी मां की बातें मान लेता था। लीला को किसी भी विषय पर अपनी बात रखने का अधिकार नहीं था। उस दिन से कजरी की आंखों में सपनों की जगह आंसूओ ने ले ली। पास पड़ोस की सहेलिओं से उसने सुन रखा था की वह “अपना घर” एक कैद की तरह होता है जहां उसके सपने ,भावनाओ का  कुछ मोल नहीं होंगा।बगल वाली लता की मौत पर डाक्टरनी ने कहा था कम उम्र में गर्भवती होने के कारन उसकी मृत्यु हो गयी। और भी बहुत कुछ तो उसे मां की हालत से ही पता था।

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अब रोज पिता बातें करते नए रिश्ते की। अब वह “लड़के “देख कर आते और उनके बारे में बातें करते हैं। अब दादी और कभी-कभी मां भी उसे घर का काम करने को कहती। बाहर खेलकूद के लिए जाने पर रोक लग गई थी। स्कूल जाना बंद हो गया था।  उसे और पढ़ने की इच्छा थी। इसका ध्यान किसी को नहीं था। मां उसकी हालत समझती थी पर असहाय थी पिता भी समाज के नियम कानूनों के नाम पर चुप थे।

एक सुबह पिता ने सुनाया पास के गांव के राधे बाबू के यहां कल रिश्ता पक्का करने जाऊंगा लगता है बात जम जाएगी।   इस कारण वह सुबह से उदास थी। शाम होने को आई थी पिता खेत से लौट आये थे। माँ जल्दी जल्दी साग काटने में लगी थी। तभी कजरी का बड़ा भाई किसना दौड़ता हुआ आया।  हाथों में कुछ छुपाए हुए मां के पास रुका और बोला “माँ जल्दी से पुराना वाला पिंजरा निकाल। देख मैं क्या लाया हूं। ”

माँ ने देखा उसके हाथों में गौरय्या का छोटा सा बच्चा था।  लीला बोल पड़ी ” न किसना इसे कैद में नहीं रख सकते। ” “क्यों मां?” कृष्णा ने गुस्से और नाराजगी में इतने जोर से कहा कि पिता और कजरी भी उठकर चले आए। लीला बोली “क्योंकि यह बहुत छोटी है अभी इसे मां की जरूरत है अगर इसे पिंजरे में बंद करेंगे तो यह मर जाएगी इसको छोड़ दे बेटा। “कजरी ये सुनते ही माँ से लिपट कर रोते हुए बोली “मां मैं भी तो अभी छोटी हूं मुझे भी मां की जरूरत है मुझे पिंजरे में कैद मत करो मैं भी मर जाउंगी। ”

लीला ने उसे कस कर गले लगा लिया। उसकी आँखों में आंसू भर आये। लीला ने माधव की तरफ देखा और आखों  ही आखों में दोनों ने एक निर्णय ले लिया।

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Susmita is a homemaker as well as a writer. She loves writing whatever comes in her mind either its about home affair or about social or political affairs. She believe sharing your opinion is a great power of human being which can make social changes and bring people together. She believe enjoying every sip of life.