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जन्मदिन विशेष: हिंदी उर्दू की अदबी दुनिया का बेशकीमती सितारा… निदा फाजली

आज निदा फाजली 78 बरस के हो गए. एक ऐसा शायर जिसने अपने अपने युग की ज़बान में, अपनी दुनिया से बात की. ये बात सही है कि सबकी पसंद अपनी-अपनी हो सकती है, किसी को कोई पसंद है तो किसी को कोई, लेकिन पसंद से मेरा मतलब वह चीज़ है जिसे आप बार-बार देखें या पलट-पलट कर उसे देखने की लालसा कहीं भीतर जाग उठे. ये समालोचना से परे की बात है.

अभी यही कोई पौने दो बरस पहले (8 फरवरी 2016) उन्होंने ‘ज्यों की त्यों रख दीनी चदरिया’ की तरह अपना जिस्म छोड़ा और अपने शब्दों का वह बेशकीमती लबादा ओढ़ लिया है जिसे, पिछले 60-65 वर्षों से वह बुना करते थे.

उर्दू साहित्य के एक बड़े आलोचक प्रोफेसर वारिस अल्वी कहते हैं, ‘निदा फाजली की नज्म ‘मां’ को मैं उर्दू की चंद बेहतरीन नज्मों में शुमार करता हूं. और मेरे नजदीक नज्मों का कोई भी संकलन इसको शामिल किए बगैर मुमकिन ही नहीं है’. हालांकि ‘मां’ विषय पर लिखने वालों ने बेशुमार लिखा है. समकालीन शायर मुनव्वर राना ने तो मां पर इतने शेर कहे हैं कि अलग से एक किताब प्रकाशित कर सकते हैं. इसके बावजूद निदा फाजली की नज्म की चमक कम नहीं हो पाती.

आइये पढ़ते हैं उनकी लिखी कुछ बेहतरीन शेर और शायरी :

 

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