अच्छी खबर : देश के 17 जिलों में 28 दिनों से कोरोना का नया मामला नहीं : स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय

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देश के 17 जिलों में 28 दिनों से कोरोना का नया मामला नहीं

देश में कोरेाना वायरस से निपटने और लॉकडाउन का लेकर मंगलवार को गृह और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की संयुक्‍त प्रेस कांफ्रेंस हुई। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के संयुक्‍त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि कोरोना वायरस के मरीजों की संख्‍या 29435 में हो गई है। अब तक 21631 सक्रिय केस है। 6865 ठीक हो चुके हैं। अब तक 17 जिलों में 28 दिनों से कोई नया मामला नहीं आया है। कोरोना वायरस के डबलिंग (दोगुना) होने की दर 10.2 दिन हुई है।

भारत की स्थिति अन्‍य देशों से बेहतर है। देश में रिकवरी रेट बढ़कर 23.3 फीसदी हो गई है। उन्‍होंने मरीजों को सलाह दी कि घर में ट्रिपल लेयर मास्‍क लगाएं।

प्‍लाज्‍मा थेरेपी मान्‍य नहीं

उन्‍होंने कहा कि आइसीएमआर (ICMR) प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है। हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इसे उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए आइसीएमआर (ICMR) द्वारा राष्ट्रीय स्तर का अध्ययन शुरू किया गया है । जब तक आइसीएमआर (ICMR) अपने अध्ययन का समापन नहीं करता है और एक मजबूत वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं होता है, तब तक प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग केवल अनुसंधान या परीक्षण के उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए।

यदि उचित दिशा- निर्देश के तहत प्लाज्मा थेरेपी का सही तरीके से उपयोग नहीं किया जाता है तो यह जीवन के लिए खतरा भी पैदा कर सकता है।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी एक सिद्ध चिकित्सा नहीं है। यह अभी भी प्रायोगिक चरण में है, अभी आइसीएमआर (ICMR) इस चिकित्सा की अतिरिक्त समझ और जानकारी के लिए एक प्रयोग कर रहा है। जब तक यह अनुमोदित नहीं हो जाता है तब तक किसी को इसका उपयोग नहीं करना चाहिए, यह रोगी के लिए हानिकारक हो सकता है। यह अवैध भी है।

भारत में भारी संख्या में टेस्टिंग हो रही है

इस मौके पर गृह मंत्रालय की संयुक्‍त सचिव पुण्‍य सलिला श्रीवास्‍तव ने कहा कि केंद्र सरकार की टीम ने अहमदाबाद और सूरत किया। इंटर मिनिस्ट्रियल सेंट्रल टीम जो सूरत का दौरा कर रही, उसने पाया है कि वहां भारी संख्या में टेस्टिंग चल रही है। इससे कोरोना के पेशंट्स की पहचान शुरुआती स्टेज में हो जा रही है।

सूरत में मजदूरों के लिए राशन वितरण की उचित व्‍यवस्‍था की गई। यहां पर भोजन वितरण के दौरान शारीरिक दूरी का पालन हो रहा है। सूरत में प्रवासी मजदूरों के लिए NGO, प्रशासन और इंडस्ट्रीज़ ने मिलकर खाने के पैकेट्स और राशन किट्स का इंतजाम किया। IMCT ने प्रशासन को श्रमिकों को कोरोना की जानकारी उन्हीं की भाषा में देने का सुझाव दिया है।

IMCT ने पाया कि अहमदाबाद में साणंद औद्योगिक बेस में 50,000 मजदूरों में से 60 प्रतिशत मजदूर नौकरियों पर लौट आए हैं। IMCT ने पाया कि गुजरात के साणंद में ऑटो औद्योगिक इकाइयों ने काम करना शुरू कर दिया है, 50 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रही हैं।

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VIAArun Kumar Singh
SOURCEजागरण
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