1बाढ़ प्रभावित जिलों के एक-एक गाँव को गोद लेगी पार्टी : पप्पू यादव
- इन गावों में चापाकल भी लगाये जाएंगे
- सरकारी राहत कार्यों को अपर्याप्त बताया
- 20 सितंबर से औरंगाबाद से शुरू होगा बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए आंदोलन
पटना। जन अधिकार पार्टी (लो) के संरक्षक और सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने घोषणा की है कि पार्टी बा़ढ़ प्रभावित कटिहार, अररिया, किशनगंज और दरभंगा जिलों के 5-5 गांवों को गोद लेगी। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित अन्य 17 जिलों के एक-एक गांव को गोद लेकर उन गांवों में बाढ़ पीडि़तों के लिए चापाकल, कपड़ा, प्लास्टिक और खाने की सामग्री की उपलब्ध कराएगी।
पटना में पत्रकार वार्ता में इसकी घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि तीन जिलों कटिहार, किशनगंज और अररिया के एक-एक गांव को गोद लेकर उन गांवों में चापाकल, कपड़ा, प्लास्टिक और खाद्य सामग्री का वितरण शुरू कर दिया गया है। अन्य जिलों में भी गांवों को गोद लेकर राहत का कार्य शुरू किया जा रहा है। इन गांवों में राहत व पुनर्वास का काम पूरा होने के बाद पार्टी अन्य गांवों को गोद लेकर राहत कार्य करेगी। सांसद ने सरकारी राहत व पुनर्वास कार्यों को नाकाफी बताया और कहा कि सरकारी राहत कार्यों में लूट मची हुई है।
सांसद ने कहा कि बाढ़ प्राकृतिक नहीं, कृत्रिम आपदा है। बाढ़ को बुलाया जाता है। बाढ़ आने से नेता, ठेकेदार और अधिकारियों को लूटने का मौका मिलता है। उन्होंने बाढ़ के लिए दोषी मंत्री और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा करने की मांग भी की। सांसद ने कहा कि जन अधिकार पार्टी जनता के मुद्दों को लेकर संघर्ष करती रहेगी। उन्होंने कहा कि फरक्का के पुननिर्माण और बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए पार्टी 20 सितंबर से औरंगाबाद से आंदोलन की शुरुआत करेगी। इसके बाद आंदोलन को राज्य व्यापी बनाया जाएगा। दीपावली के बाद आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
21 जिले बाढ़ से त्रस्त
श्री यादव ने पटना में दशहरा फेस्टिवल पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य के 21 जिले बाढ़ से त्रस्त हैं और राज्य सरकार पटना में उत्सव मनाएगी। इस पर करोड़ों रुपये व्यय करेगी। यह बिहार में ही संभव है कि एक ओर जहां आधा बिहार बाढ से त्राहिमाम कर रहा हो। देश भर से राहत और दान मिल रहे हो। वहां सिर्फ़ पटना में करोड़ों खर्च कर 21 दिनों का जलसा किया जा रहा हो। क्या यह राज्य की जनता से मजाक नहीं। पटना का दशहरा अपने शास्त्रीय संगीत प्रेम के लिए विख्यात रहा है, लेकिन सरकार के स्तर दशहरा की परंपरा को पुनर्जीवित करने के नाम पर फूहडता की पराकाष्ठा दिख रही है।
सिर्फ आगटम नंबर और रीमिक्स के कलाकारों को बुलाकर सरकार कौन सी संस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहती है। हद तो यह है इसी आयोजन मे भोजपुरी अवार्ड नाइट भी है। क्या कोई बतायेंगे किस आधार पर अवार्ड दिए जाएंगे। कौन से एक्सपर्ट की राय से ये अवार्ड तय हुए हैं। सरकार द्वारा दिए जाने वाले अवार्ड को तमाशा नहीं बनाया जा सकता, इससे भोजपुरी सिनेमा और सरकार दोनों की प्रतिष्ठा धूमिल होगी।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है सांसद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजे एक पत्र की कॉपी मीडिया को जारी करते हुए कहा कि सभी मंत्री और विधायकों के परिजनों को 72 घंटे बाढ़ पीडि़तों के साथ रहना चाहिए, ताकि वे समझ सकें कि बाढ़ की पीड़ा और त्रासदी क्या होती है। पत्रकार वार्ता में पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एजाज अहमद, राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता राघवेंद्र कुशवाहा और प्रेमचंद सिंह, राष्ट्रीय महासचिव राजेश रंजन पप्पू, अभियान समिति के अध्यक्ष आनंद मधुकर, प्रदेश प्रधान महासचिव राजीव कुमार, प्रवक्ता श्याम सुंदर यादव आदि मौजूद थे।