छोटी पटन-देवी शक्तिपीठ
भारत के 51वें शक्तिपीठों में नगररक्षिका के रूप में पटना स्थित छोटी पटनदेवी की पूजा आदिकाल से होती आ रही है। दुर्गा पूजा के दौरान यहां पूजा-अर्चना करने श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
पटना: नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा श्रद्धा व उल्लास के साथ शक्तिपीठ छोटी पटनदेवी में सैकड़ों वर्षो से होती आ रही है। अन्य दिनों में भी प्रात: काल बेला से ही कतारबद्ध हो लोग दूर-दूर से भगवती के दर्शन को पहुंचते हैं।
आदिकाल से हो रही है पूजा
भारत के 51वें शक्तिपीठों में नगररक्षिका के रूप में छोटी पटनदेवी की पूजा आदिकाल से होती आ रही है। दुर्गा पूजा के दौरान सूबे व राजधानी के कोने-कोने से श्रद्धालु मां भगवती की पूजा-अर्चना करने परिजनों के साथ पहुंचते हैं। यहां होने वाली आरती में श्रद्धालु शामिल होना नहीं भूलते।
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सिद्धपीठ का इतिहास
सिद्धशक्ति पीठ श्री छोटी पटनदेवी मंदिर के आचार्य अभिषेक अनंत दिवेदी बताते हैं कि दक्ष प्रजापति की पुत्री सती अपने ही पितृ यज्ञ में पति के अपमान को सहन न करते हुए उसी यज्ञ बेदी में कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। भगवान शिव को उतना क्षोभ अपने अपमान से नहीं हुआ उससे ज्यादा सती के मरने से हुआ।
भगवान शिव ने सती के शरीर को कंधे पे उठा तांडव करने लगे। विकट स्थिति देख सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचकर प्रलय को रोकने की प्रार्थना की। देवताओं के अनुरोध पर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित कर दिया। ऐसे में सती के पार्थिव शरीर के जितने खंड हुए उतने स्थानों पर शक्तिपीठ स्थापित हुई।
कैसे पहुंचे छोटी पटन देवी शक्ति पीठ
अशोक राज पथ से आने पर चौक थाना क्षेत्र के हाजीगंज से संपर्क पथ से 100 फीट अंदर गली में जाने पर श्रद्धालु मंदिर पहुंचेंगे। पटना साहिब स्टेशन से चौकशिकारपुर, मंगलतालाब मोड़ पहुंचकर कालीस्थान रोड होते छोटी पटनदेवी पहुंचने का मार्ग स्थित है।
कहा- मंदिर के पुजारी ने
छोटी पटनदेवी स्थल पर सती की पीठ का हिस्सा गिरा था। नवरात्र के दौरान सप्तमी को महानिशा पूजा, अष्टमी को महागौरी, नवमी को सिद्धिदात्री देवी के दर्शन और पूजन के लिए खास तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
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