मंगला गौरी
मंगला गौरी भस्मकूट पर्वत पर गया-बोधगया मार्ग पर अवस्थित है। कालिका पुराण के अनुसार गया में सीता का स्तन मंडल भस्मकूट पर्वत के ऊपर गिर कर दो पत्थर बन गए थे। इस कारण इस शक्तिपीठ में पालन-पोषण करने की क्षमता निहित है। इस शक्तिपीठ को असम के कामरूप स्थिति कामाख्या देवी शक्तिपीठ के समान माना जाता है। इस शक्तिपीठ की विशेषता यह है कि मनुष्य अपने जीवनकाल में ही अपना श्राद्धकर्म यहां संपादित कर सकता है। मंदिर द्वियभागीये मंडपाकृति पूर्वाभिमुख है और बाहरी दीवार पर संपूर्ण दुर्गा सप्तशती अंकित है। दर्शन मात्र से अध्यात्मिक संतुष्टि मिलती है।
कैसे पहुंचे, कहां ठहरे
कैसे पहुंचे – गया सड़क, रेल और वायु मार्ग से पूरे देश से जुड़ा है यह बोधगया से 13 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।
सड़क मार्ग – पटना से 103 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
रेल मार्ग – निकटवर्ती रेलवे जंक्शन गया, कोलकाता से 456 किलोमीटर, वाराणसी से 220 किलोमीटर तथा पटना से 100 किलोमीटर है।
हवाई मार्ग – निकटवर्ती हवाई अड्डा गया और पटना है।
कहां ठहरे – यहां ठहरने के लिए हर बजट का होटल, रेस्ट हाउस तथा अनेक धर्मशाला भी है।