कार्मिक मंत्रालय के एक आदेश के अनुसार, केंद्र ने कथित भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ कोई भी जांच करने से पहले पुलिस अधिकारियों को अनिवार्य पूर्वानुमति लेने के लिए एसओपी जारी की है।

बता दें कि जुलाई 2018 में 30 साल से अधिक पुराने भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम, 1988 में किया गया संशोधन एक पुलिस अधिकारी को अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना किसी लोक सेवक द्वारा कथित रूप से किए गए किसी भी अपराध की कोई जांच करने से रोकता है। संशोधन लागू होने के तीन साल से भी अधिक समय बाद पूर्व अनुमति की प्रक्रिया के एकसमान तथा प्रभावी क्रियान्वयन के मद्देनजर प्रक्रियाओं के मानकीकरण के लिए ये एसओपी जारी की गई।

केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के सचिवों को जारी आदेश में कहा गया कि इन एसओपी में किसी पुलिस अधिकारी द्वारा प्राप्त सूचना की चरणबद्ध प्रक्रिया का प्रावधान है। इसमें पूर्व अनुमति मांगने के लिए पुलिस अधिकारी के दर्जे का भी उल्लेख है।

जांच एजेंसियों के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों तथा विभागों समेत सभी प्रशासनिक प्राधिकारों को इस एसओपी का सख्ती से पालन करने को कहा गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के साथ एसओपी को साझा किया गया है और कहा गया है कि सभी क्षेत्रीय इकाइयों को इन एसओपी के कड़ाई से पालन की जानकारी हो।

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