क्या कांग्रेस चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अपने दल में शामिल करना चाहती है? और क्या खुद प्रशांत किशोर भारत की सबसे पुरानी पार्टी के साथ अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू करने के मूड में हैं? राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ मुलाकातों और एक अहम बैठक के बाद सियासी गलियारों में प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। बताया तो यह भी जा रहा है कि राहुल गांधी ने एक बैठक कर प्रशांत किशोर को कांग्रेस में शामिल करने के लिए पार्टी नेताओं से राय मांगी है।
राहुल ने कांग्रेस नेताओं संग की है बैठक
कांग्रेस के हलकों में इसकी फुसफुसाहट तेज हो गई है, मगर न तो पार्टी और न ही प्रशांत किशोर ऑन रिकॉर्ड कुछ कह रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर इस मामले से जुड़े तीन लोगों ने कहा कि इस मुद्दे पर 22 जुलाई को राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में चर्चा की गई थी और इसमें एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, कमलनाथ और अंबिका सोनी सहित पार्टी के लगभग आधा दर्जन से अधिक प्रमुख नेताओं ने भाग लिया था।
प्रशांत किशोर कांग्रेस में हो सकते हैं शामिल
हमारी सहयोगी वेबसाइट हिन्दुस्तान टाइम्स को पता चला है कि अगर दोनों पक्ष सहमत होते हैं तो प्रशांत किशोर महासचिव (अभियान प्रबंधन) के रूप में कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स ने 15 जुलाई को बताया था कि प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के पुनरुद्धार के लिए गांधी परिवार के सामने एक खाका पेश किया था। मामले से परिचित लोगों में से एक ने कहा कि 22 जुलाई की बैठक यह जानने के लिए थी कि प्रशांत किशोर के सुझावों के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता क्या सोचते हैं और कैसा महसूस करते हैं, जो पिछले साल कोरोना महामारी की शुरुआत से ठीक पहले पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिए गए थे। साथ ही दूसरे नेता ने कहा कि राहुल गांधी अगले कुछ दिनों में इस पर अंतिम निर्णय लेने वाले हैं, हालांकि, उससे पहले वह पार्टी के नेताओं से परामर्श चाहते हैं।
पीके बयान से कांग्रेस को उम्मीद
वहीं मामले से परिचित दूसरे शख्स ने कहा कि कांग्रेस में प्रशांत किशोर द्वारा सुझाई गई रणनीतियों को अपनाने की इच्छा है और परामर्श के दौरान एक आम सहमति भी विकसित हुई है। उन्होंने आगे कहा, ‘हम इसे लेकर आशावादी हैं, क्योंकि प्रशांत किशोर ने कहा है कि कांग्रेस के बिना भाजपा को हराना संभव नहीं है। दूसरी बात यह कि पीके ने खुद ही हमसे संपर्क किया है। बता दें कि उनका संदर्भ भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए तीसरे मोर्चे के संदर्भ में पिछले महीने प्रशांत किशोर की टिप्पणियों से है, जिसमें किशोर ने कहा था उन्हें नहीं लगता कि कोई तीसरा या चौथा मोर्चा बिना कांग्रेस को शामिल किए नरेंद्र मोदी को हरा सकता है।
सीनियर नेताओं को भी नहीं है ऐतराज
हिन्दुस्तान टाइम्स से तीसरे शख्स ने कहा कि बैठक में उपस्थित लोगों से पूछा गया कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने के बारे में उन्हें कैसा लग रहा है तो ज्यादातर लोगों ने हामी भरी और कहा कि यह बुरा विचार नहीं है। फिलहाल, इस बैठक पर कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने जब कांग्रेस नेता एके एंटनी से संपर्क किया तो उन्होंने बैठक को लेकर बोलने से इनकार कर दिया जबकि अन्य नेता उपलब्ध नहीं थे। वहीं, केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह एक अनौपचारिक बैठक थी, जहां हमने 2022 के लिए निर्धारित विधानसभा चुनावों के बारे में चर्चा शुरू कर दी है।
पीके ने कांग्रेस को दिए हैं कई अहम सुझाव
वहीं, प्रशांत किशोर ने कहा कि उन्हें कांग्रेस की बैठक के बारे में कोई जानकारी नहीं है। बता दें कि 15 जुलाई को एचटी ने प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी के साथ किशोर की मुलाकात और राष्ट्रीय पार्टी को आकार देने में उनकी संभावित भूमिका की सूचना दी थी। प्रशांत किशोर द्वारा दिए गए प्रस्तावों में से एक यह है कि राहुल गांधी को नए कांग्रेस संसदीय बोर्ड का नेतृत्व करना चाहिए। बता दें कि जी-23 समूह ने भी इसी बोर्ड की मांग की थी, जो प्रमुख मुद्दों पर पार्टी के रुख पर विचार करेगा। माना जाता है कि पार्टी में बदलाव के सुझावों के अलावा, प्रशांत किशोर की योजनाओं में भाजपा के खिलाफ एक संभावित संयुक्त मोर्चा बनाने का विवरण भी शामिल है, जिसकी शुरुआत 2022 के राष्ट्रपति चुनावों में एक आम विपक्षी उम्मीदवार को स्वीकार करने के साथ हो सकती है (इसमें एनसीपी नेता शरद पवार के नाम का उल्लेख किया गया था)। बता दें कि प्रशांत किशोर उनसे पिछले महीने तीन बार मिल चुके हैं।
जदयू में एक सियासी पारी खेल चुके हैं प्रशांत
राजनीतिक जानकार संदीप शास्त्री का कहना है कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को एक महत्वपूर्ण रणनीतिकार मिल जाएगा। बता दें कि किशोर इससे पहले जदयू में शामिल हुए थे और उनका सफर काफी मुश्किल भरा रहा था। मगर यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि वह कांग्रेस को कैसे नया आकार दे सकते हैं और कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता उन्हें कैसे स्वीकार करेंगे। बता दें कि सितंबर 2018 में प्रशांत किशोर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए थे। हालांकि, फरवरी 2020 में जदयू से नाता तोड़ने से पहले उन्होंने 2015 के बिहार चुनावों में पार्टी उपाध्यक्ष के रूप में काम किया था और चुनावी रणनीति बनाई थी।