पटना विश्वविद्यालय के लिए गौरव के क्षण, पूरे किये 100 वर्ष
राजनीति के अलावा सामाजिक कार्यों और अन्य क्षेत्रों में अनेक दिग्गज देनेवाले पटना विश्वविद्यालय के लिए आज गौरव का क्षण है. इसने अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे कर लिये हैं. पटना विश्वविद्यालय देश का सातवां सबसे पुराना विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना अक्तूबर 1917 में हुई थी. नवगठित राज्य पटना में जब यह विश्वविद्यालय बना तब एक भी लड़की किसी कॉलेज में पढ़ने नहीं जाती थी. विश्वविद्यालय अपनी इस यात्रा का जश्न मनाने जा रहा है. प्रशासन ने पूरे वर्ष शताब्दी समारोह मनाने का निर्णय किया है. इसके तहत अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस माह के अंत में इसकी शुरुआत कर सकते हैं.
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विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रास बिहारी प्रसाद सिंह ने कहा, यह बेहद गर्व की बात है कि पटना विश्वविद्यालय ने अपने सौ वर्ष पूरे कर लिये हैं. हालांकि, पिछले कुछ दशक में इसकी शैक्षिक चमक कुछ धूमिल हुई है. आज के दिन हम इस प्रसिद्ध संस्थान का गौरव बहाल करने का संकल्प लेते हैं, ताकि ये अगले 100 वर्षों तक चमकता रहे. चूंकि विश्वविद्यालय की स्थापना नये राज्य के गठन के साथ ही हुई थी, इसलिए इसकी कहानी आधुनिक बिहार की कहानी है और दोनों ही प्रेरणा देनेवाली हैं.
![Patna University was established in 1917 | The Bihar News](https://thebiharnews.in/wp-content/uploads/2017/10/pu2.jpg)
इसी संस्थान के छात्र रह चुके सिंह ने कहा, आज जब हम इसकी शताब्दी मना रहे हैं, जितना हम आगे देखते हैं उतना ही हमें पीछे भी देखने की जरूरत है और अगली पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए उन मील के पत्थर को याद करने की जरूरत है, जिसे संस्थान ने तय किया है. राजनीति के क्षेत्र में अलग पहचान बननेवाले लालू प्रसाद यादव, रवि शंकर प्रसाद, सुशील कुमार मोदी, सामाजिक कार्यकर्ता बिंदेश्वर पाठक, आधुनिक युग में योग के जनक माने जानेवाले तिरुमलाई कृष्णनामचार्य इसी विश्वविद्यालय की देन हैं.